दुनिया के मंदी में जाने की आशंकाओं के बीच 2022-23 में भारत 7 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा. रविवार को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council to The Prime Minister) के सदस्य संजीव सान्याल (Sanjeev Sanyal) ने ये बात कही है. संजीव सान्याल ने कहा कि 2000 की शुरुआत में बाहरी माहौल जिस तरह से पॉजिटिव था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि कर रही थी वैसे माहौल में भारत 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित ही ऐसा माहौल बनने जा रहा है जहां दुनियाभर के कई देशों को कम वृद्धि का सामना करना पड़ेगा बल्कि वे मंदी में भी जा सकते हैं. इसके कई कारण हैं जिनमें सख्त मौद्रिक नीति से लेकर ऊर्जा की ऊंची कीमतें और यूक्रेन युद्ध की वजह से उत्पन्न व्यवधान.’’

बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय हालात को देखते हुए वर्ल्ड बैंक ने घटा दिया था अनुमान

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बताते चलें कि वर्ल्ड बैंक ने बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय हालात का हवाला देते हुए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को अभी हाल ही में घटा दिया था. ताजा अनुमानों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो जून 2022 के अनुमान से एक प्रतिशत कम है.

सान्याल ने कहा, ‘‘ऐसे हालात में भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहेगा, वह चालू वित्त वर्ष में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत रहेगी.’’ उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सप्लाई साइड में जो सुधार किए हैं उनके कारण ही भारत की अर्थव्यवस्था पहले के मुकाबले कहीं अधिक लचीली और जुझारू हुई है.

डॉलर को छोड़कर बाकी करेंसी की तुलना में मजबूत हो रहा है रुपया

उन्होंने कहा कि अगर भारत को वैसा बाहरी माहौल मिल जाए जो 2002-03 से 2006-07 के बीच था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था बढ़ रही थी, वैश्विक मुद्रास्फीतिक दबाव कम थे, वैसी स्थिति में अर्थव्यवस्था 9 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है. सान्याल ने कहा, ‘‘लेकिन अभी ऐसी स्थिति नहीं है जिसे देखते हुए 7 प्रतिशत की वृद्धि को अच्छा प्रदर्शन कहा जाएगा.’’

रुपये के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचने के बारे में सान्याल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हमें सिर्फ डॉलर रुपये की विनिमय दर के आधार पर इसे तरजीह देनी चाहिए.’’ सान्याल ने कहा कि बाकी करेंसी की तुलना में डॉलर तेजी से मजबूत हो रहा है. इन परिस्थितियों में डॉलर को छोड़कर अन्य करेंसी की तुलना में रुपया वास्तव में मजबूत हो रहा है.