देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में 6.7 से 6.9 फीसदी रह सकती है. यह दूसरी तिमाही की 7.6 फीसदी वृद्धि दर के मुकाबले कम है जिसका कारण कृषि क्षेत्र का खराब प्रदर्शन है. एसबीआई रिसर्च की बुधवार को जारी रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया. वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का आधिकारिक आंकड़ा जारी होने से एक दिन पहले यह रिपोर्ट आई है. 

Q2 में ग्रोथ रेट 7.6% रहा था

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चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद से कहीं अधिक 7.6 फीसदी रही. इसके साथ भारत दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना रहा. वृद्धि दर में तेजी का प्रमुख कारण सरकार के व्यय और विनिर्माण गतिविधियों में तेजी रही. एसबीआई रिसर्च का तीसरी तिमाही में 6.7 फीसदी से 6.9 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान रिजर्व बैंक के सात फीसदी वृद्धि के अनुमान से कम है. 

Q4 के लिए ग्रोथ रेट 6.8% रहने की उम्मीद

इसके साथ ही एसबीआई रिसर्च ने चौथी तिमाही में वृद्धि दर 6.8 फीसदी रहने की संभावना जतायी है. एसबीआई रिसर्च ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर, 2023 तिमाही में कम वृद्धि दर के अनुमान का सबसे बड़ा कारण कृषि क्षेत्र का खराब प्रदर्शन है. मत्स्य पालन को छोड़कर समूचा कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2023-24 में प्रमुख खरीफ फसलों का उत्पादन 14.85 करोड़ टन होने का अनुमान है. यह एक साल पहले की तुलना में 4.6 फीसदी कम है.

रबी फसलों की बुआई का रकबा बढ़ा है

रिपोर्ट के मुताबिक, रबी फसलों की बुवाई का कुल रकबा पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा बढ़ा है लेकिन अनाजों के मामले में रकबे को लेकर चिंता है. इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 6.5 फीसदी की कमी देखी गई है. इसके मुताबिक, अगर रबी उत्पादन से खरीफ की कमी की भरपाई नहीं होती है तो कृषि क्षेत्र के मूल्य-वर्द्धन में गिरावट देखने को मिलेगी. दूसरी ओर, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में लगभग 4,000 सूचीबद्ध कंपनियों के शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 30 फीसदी से अधिक की मजबूत वृद्धि हुई है जबकि उनका कारोबार लगभग सात फीसदी बढ़ा है. 

नॉन-BFSI कंपनियों का मार्जिन सुधरा है

इसके अलावा, बीएफएसआई (बैंक, वित्तीय सेवा और बीमा) को छोड़कर करीब 3,000 सूचीबद्ध कंपनियों ने मार्जिन में सुधार की सूचना दी है. तीसरी तिमाही में इन कंपनियों का मार्जिन बढ़कर 14.95 फीसदी रहा जो पिछले साल की समान तिमाही में करीब 12 फीसदी था. कंपनियों का सकल मूल्य-वर्धन (जीवीए) सालाना आधार पर करीब 26 फीसदी बढ़ा है. इसका आकलन परिचालन लाभ और कर्मचारी व्यय के आधार पर किया जाता है.