India GDP: दुनियाभर में भले ही आर्थिक चुनौतियां हैं लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय अर्थव्यवस्था  (Indian economy) में तेजी रहेगी. बेहतर कृषि उत्पादन के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने से चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर (India GDP FY2022-23) 7-7.8 प्रतिशत रह सकती है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान जताया है. गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लगा है और दुनिया भर में महंगाई बढ़ी है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस समय हैं कई चुनौतियां

खबर के मुताबिक, जाने-माने अर्थशास्त्री और बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कुलपति एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक वजहों से कई चुनौतियों का सामना कर रही है. उन्होंने कहा कि वैश्विक मुद्रास्फीति के दबाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अर्थव्यवस्था के सामने जोखिम पैदा हुआ है, हालांकि घरेलू स्तर पर वृहत आर्थिक बुनियाद मजबूत हैं. भानुमूर्ति ने कहा कि बेहतर कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ भारत को चालू वित्त वर्ष में वैश्विक बाधाओं के बावजूद सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी चाहिए.

ये चीजें हो सकती हैं प्रभावित

औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान (आईएसआईडी) के निदेशक नागेश कुमार ने कहा कि महत्वपूर्ण आंकड़ें (जीएसटी संग्रह, निर्यात, पीएमआई आदि) 2022-23 के दौरान (India GDP FY2022-23) एक मजबूत वृद्धि दर की ओर संकेत करते हैं और वास्तविक जीडीपी (India GDP) वृद्धि 7-7.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है. फ्रांस के अर्थशास्त्री गाय सोर्मन ने कहा कि भारत ऊर्जा और उर्वरक आयात की ज्यादा लागत से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत अभी भी एक कृषि अर्थव्यवस्था है, ऐसे में धीमी वृद्धि का सामाजिक प्रभाव शहर के श्रमिकों के अपने गांव वापस जाने से कम हो जाएगा.इससे कृषि उत्पादन और खाद्यान्न निर्यात बढ़ सकता है.

महंगाई दर में आएगी कमी

भारत की अर्थव्यवस्था (Indian economy) पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 6.6 प्रतिशत घटी थी. ऊंची महगाई दर के बारे में भानुमूर्ति ने कहा कि मार्च 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर पहुंची और पिछले तीन महीनों में इसमें तेजी की मुख्य वजह ईंधन के दाम में उछाल है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर ईंधन के दाम बढ़ने और दूसरे जिंसों के भाव में तेजी से खुदरा मुद्रास्फीति अचानक से बढ़ी है, लेकिन ईंधन पर करों में कटौती और नीतिगत दर में वृद्धि जैसे हाल के नीतिगत उपायों से महंगाई दर आने वाली तिमाहियों में नरम पड़नी चाहिए.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

कुमार ने कहा कि जिंसों के दाम में तेजी भारतीय आर्थिक परिदृश्य के नीचे जाने का जोखिम पैदा करती है क्योंकि महंगाई दर ऊंची है. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद मुझे नहीं लगता कि भारत निम्न वृद्धि दर (India GDP) के साथ ऊंची मुद्रास्फीति की स्थिति (स्टैगफ्लेशन) की ओर बढ़ रहा है. इसका कारण वृद्धि दर का मजबूत होना है.