टैक्सपेयर्स की अक्सर शिकायत रहती है कि टैक्स मामलों में थोड़ी सी गड़बड़ होने पर भी इनकम टैक्स के अधिकारी (Income Tax officers) उन्हें परेशान करते हैं. इस तरह के उत्पीड़न को रोकने और टैक्स के काम में ट्रांसपेरेंसी (Transparency) लाने के लिए सरकार ने फेसलेस ई-असेसमेंट स्कीम (Faceless e-Assessment scheme) शुरू की हुई है. 

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 के अपने बजट भाषण में  फेसलेस ई-असेसमेंट स्कीम का ऐलान किया था. इस स्कीम को अक्टूबर 2019 लागू किया गया. 

क्या है फायदा

टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय अगर कुछ गड़बड़ी हो जाती है तो उस मामले को स्क्रूटनी के लिए डाल दिया जाता है. स्क्रूटनी वाले मामलों में असेसमेंट के दौरान टैक्सपेयर को कई बार आयकर ऑफिस में अधिकारियों के पास पूछताछ के लिए जाना पड़ता है. जानकारों का कहना है कि इस सिस्टम से भ्रष्टाचार भी पैदा होता है. बड़े मामलों को गलत तरीके से निपटाने की बात कही जाती थी. 

लेकिन फेसलेस असेसमेंट से टैक्सपेयर को स्क्रूटनी के लिए टैक्स ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ते और न ही अधिकारियों के सामने पेश होना पड़ता है.

इस सिस्टम में जिस मामले को स्क्रूटनी के लिए चुना जाता है, टैक्सपेयर को सभी डॉक्यूमेंट ऑनलाइन जमा करने होते हैं. इस सिस्टम में मामले के लिए असेसमेंट ऑफिसर को भी कहीं से भी चुना जाता है. 

8 शहरों में हो रहा है काम

फेसलेस ई-असेसमेंट स्कीम के पेंडिंग पड़े मामलों को निपटाने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस काम को निपटाने के लिए इस समय 600 अधिकारियों समेत टैक्स डिपार्टमेंट के 3130 कर्मचारी दिन-रात जुटे हुए हैं. 

करीब 60 हजार मामलों पर काम

इस योजना के तहत 58,319 मामलों को चुना गया है. इनमें से 8700 मामलों का निपटान हो चुका है. 

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) प्रधान मुख्य आयुक्त एसके गुप्ता ने बताया कि पहली बार फेसलेस ई-असेसमेंट का काम हो रहा है. इस काम में जुलाई के महीने में रफ्तार पकड़ी है. सभी मामलों को सितंबर के मध्य तक निपटा लिया जाएगा. 

उन्होंने बताया कि मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, पुणे और हैदराबाद को मिलाकर देश के 8 शहरों में फेसलेस ई-असेसमेंट का काम चल रहा है. इस स्कीम के तहत अकेले व्यक्ति, बिजनेस, लघु उद्योग से लेकर बड़ी इंडस्ट्री तक के मामलों का निपटारा किया जा रहा है.