केंद्र सरकार ने माल एवं सेवा कर (GST) पर बड़ा फैसला लिया है. वित्‍त मंत्रालय ने उन व्‍यापारियों का ई-वे बिल जनरेशन रोक दिया है, जो समय पर रिटर्न फाइल नहीं करते. ई-वे बिल तब जनरेट होता है जब सप्‍लायर या माल लेने वाला उसे भेजता/रिसीव करता है. इससे उन व्‍यापारियों के लिए मुश्किल खड़ी होगी, जिन्‍होंने लगातार दो बार रिटर्न नहीं भरा है.

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क्‍यों जरूरी है ई-वे बिल

ई-वे बिल 50 हजार रुपए से ऊपर के माल के लिए जरूरी होता है. इसे माल को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए कॉमन पोर्टल से जनरेट करना होता है. इसमें सप्‍लायर/रिसीवर फॉर्म का पार्ट A भरते हैं. उसमें GST आइडेंटिफिकेशन नंबर, वैल्‍यू ऑफ गुड्स और इनवायस नंबर दर्ज होते हैं. वहीं फॉर्म का पार्ट B ई-वे बिल ट्रांसपोर्टर भरता है. उसमें वह डेलिवरी वाहन का डिटेल देता है.

क्‍यों सरकार ने उठाया यह कदम

जुलाई 2017 में जब से GST व्‍यवस्‍था लागू हुई है तभी से व्‍यापारी नियमित रिटर्न फाइल करने में पिछड़ रहे हैं. ऐसे व्‍यापारियों की संख्‍या 30% के आसपास है, जो GSTR-3B रिटर्न फॉर्म समय पर फाइल नहीं कर रहे. इसे हर माह की 20 तारीख को फाइल करना होता है. 

आइसक्रीम व्‍यापारियों ने कम्पोजिशन योजना में शामिल करने की मांग की

इस बीच छोटे आइसक्रीम विनिर्माताओं ने GST में कम्पोजिशन (Composition) योजना में शामिल करने की मांग की है. ऑल इंडिया स्मॉल स्केल आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक पुनीत मनचंदा ने कहा कि केंद्र सरकार ने आइसक्रीम के कारोबार को लघु कुटीर उद्योग में रखते हुए इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू किया है, जो सही नहीं है. उन्होंने कहा कि आइसक्रीम कारोबार को जीएसटी की कम्पोजिशन योजना के तहत लाया जाना चाहिए. 

क्‍या है कम्‍पोजिशन योजना

कम्पोजिशन योजना उन करदाताओं के लिए है जिनका कारोबार 1 करोड़ रुपये से कम है.