केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अधिकारियों ने जीएसटी (GST) अधिकारियों से कहा है कि वह जीएसटी के तहत नए पंजीकरण आवेदनों को आगे बढ़ाते समय सतर्कता बरतें. यह सलाह उन कारोबारियों के व्यवहार को ध्यान में रखते हुए दी गई है, जिनका पंजीकरण पहले अनुपालन पूरा नहीं करने के कारण निरस्त कर दिया गया था.

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केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने कर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह नए पंजीकरण के लिए प्राप्त आवेदनों में दी गई सूचनाओं की अच्‍छी तरह से जांच करें. इन आवेदनों में व्यवसाय के मालिक, निदेशक, संघों की प्रबंधन समिति के सदस्यों, ट्रस्टी बोर्डों के सदस्यों का निरस्त पंजीकरण के साथ मिलान कर लें.

कर अधिकारियों ने हाल ही में अनुपालन नहीं करने की वजह से बड़ी संख्या में पंजीकरण निरस्त किये थे. कर अधिकारियों के संज्ञान में यह आया है कि कई ऐसे व्यवसायी जिनका पंजीकरण निरस्त किया गया वह बिना पंजीकरण के ही काम कर रहे हैं और पंजीकरण के निरस्त होने को समाप्त किये जाने के बारे में कोई आवेदन नहीं कर रहे हैं बल्कि इसके बजाय वह नये पंजीकरण के लिये ही सीधे आवेदन कर रहे हैं.

ऐसे कारोबारी सीधे नये पंजीकरण के लिये आवेदन कर पहले के पंजीकरण के तहत बकाया कर को चुकाने से बचने का प्रयास करते हैं. जीएसटी के तहत एक ही व्यक्ति एक ही स्थायी खाता संख्या (पैन) के तहत अलग पंजीकरण प्राप्त कर सकता है. हालांकि ऐसे मामलों में कर अधिकारी को पंजीकरण फार्म को खारिज करने का अधिकार मिला हुआ है. यदि आवेदन के लिये जमा करा गये आवेदन दस्तावेजों में कोई कमी पता चलती है और यदि पहले के पंजीकरण के बारे में जानकारी को दबाया गया है तो आवेदन को निरस्त किया जा सकता है.

नये आवेदन में जिस जानकारी को छुपाया जा सकता है उनमें कारोबार शुरू करने की तारीख, वह तिथि जब पंजीकरण का दायित्व सामने आया और पंजीकरण पाने की वजह आदि को छुपाया जा सकता है. वर्तमान में करीब 1.20 करोड़ कारोबारी जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं. देश में जीएसटी की शुरुआत एक जुलाई 2017 को हुई थी.