कुछ साल पहले इंडियन बैंकिंग सिस्टम के सामने सबसे बड़ी चुनौती NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग असेट्स की थी. हालांकि, इसमें अप्रत्याशित सुधार आया है. घरेल रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि अगले वित्त वर्ष यानी FY25 के लिए बैंकिंग सिस्टम का कुल एनपीए यानी GNPA घटकर 2.1 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है.

FY2018 में यह 11.2% हो गया था

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रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में जीएनपीए 2.5-2.7 फीसदी पर रहने की संभावना है. रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक इसमें सुधार होगा और बैंकिंग प्रणाली का कुल एनपीए घटकर 2.1-2.4 फीसदी रह जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 की एक्यूआर प्रक्रिया (असेट क्वॉलिटी रिव्यू प्रोसेस) के कारण वित्त वर्ष 20213-14 में जीएनपीए 3.8 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2017-2018 में 11.2 फीसदी हो गया, जिसने बैंकों को एनपीए को पहचानने और अनावश्यक पुनर्गठन को कम करने के लिए प्रेरित किया.

FY19 से ग्रॉस एनपीए में सुधार देखा जा रहा है

इसमें कहा गया कि जीएनपीए में वित्त वर्ष 2018-19 से सुधार देखा जा रहा है और वित्त वर्ष 2022-23 में यह एक दशक के निचले स्तर 3.9 फीसदी पर आ गया. वित्त वर्ष 2023-24 की दिसंबर तिमाही में यह तीन फीसदी था. रिपोर्ट में कहा गया कि खराब कर्ज की वसूली, बैंकों द्वारा अधिक खराब कर्ज को बट्टे खाते में डालने की वजह से परिसंपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हुआ है.

एग्री और इंडस्ट्रियल GNPA में भी अच्छा सुधार आया है

क्षेत्रीय दृष्टिकोण से, कृषि क्षेत्र का जीएनपीए अनुपात मार्च, 2020 में दर्ज 10.1 फीसदी की तुलना में सितंबर, 2023 में घटकर सात फीसदी पर आ गया, जबकि औद्योगिक क्षेत्र ने मार्च 2020 में 14.1 फीसदी के मुकाबले सितंबर, 2023 में 4.2 फीसदी जीएनपीए अनुपात दर्ज किया. यह मार्च, 2018 में 22.8 फीसदी था.