बढ़ती महंगाई और रूस-यूक्रेन लड़ाई से GDP को लग रहा झटका! S&P ने FY23 के लिए ग्रोथ अनुमान घटाया
India's FY23 GDP forecast: S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है.
India's FY23 GDP forecast: रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है. रेटिंग एजेंसी ने बढ़ती महंगाई और उम्मीद से ज्यादा लंबा खिंच रहे रूस-यूक्रेन संकट के चलते ग्रोथ का अनुमान घटाया है. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि लंबी समय तक महंगाई का ऊंचे स्तर तक रहना चिंताजनक है. ऐसे में केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में और बढ़ोतरी करने की जरूरत है. ग्रोथ अनुमान पर अपने ग्लोबल मैक्रो अपडेट में S&P ने यह जानकारी दी है.
S&P ने पिछले साल दिसंबर में चालू वित्त वर्ष के लिए 7.8 फीसदी GDP ग्रोथ का अनुमान जताया था. इससे अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए ग्रोथ का अनुमान 6.5 फीसदी है. वितत वर्ष 2021-22 में जीडीपी ग्रोथ 8.9 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं, रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए CPI यानी रिटेल महंगाई दर का अनुमान 6.9 फीसदी रखा है.
RBI समेत अन्य ग्लोबल एजेंसियों ने भी घटाया अनुमान
रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते कमोडिटी की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. इसके बाद अलग-अलग ग्लोबल एजेंसी ने भारत की जीडीपी ग्रोथ अनुमान हाल ही में घटाया है. वर्ल्ड बैंक ने 2022-23 के लिए अप्रैल में भारत की जीडीपी का अनुमान 8.7 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया है. वहीं, IMF ने ग्रोथ का अनुमान 9 फीसदी से घटाकर 8.2 फीसदी कर दिया है. एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने भारत की ग्रोथ का अनुमान 7.5 फीसदी जताया है.
रूस-यूक्रेन संघर्ष से सप्लाई चेन डिस्बर्स होने और क्रूड की बढ़ती कीमतों के बीच रिजर्व बैंक ने भी पिछले महीने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दियाा है.
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ICRA ने बढ़ाया अनुमान
दूसरी ओर, रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 12 से 13 फीसदी की दर से बढ़ेगी. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी के अनुमान को बरकरार रखा है. इसके पीछे बढ़ती मुद्रास्फीति और नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी जैसी वजहें हैं. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अप्रैल महीने के लिए हमारा कारोबार गतिविधि सूचकांक यह संकेत देता है कि एक साल पहले और कोविड-पूर्व स्तर की तुलना में गतिविधियां करीब 16 फीसदी ज्यादा रही हैं.