भारत का बजटीय राजकोषीय घाटा पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में 5.95 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जोकि पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य 6.24 लाख करोड़ रुपये का 95.3 फीसदी है. यह जानकारी गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से मिली. आंकड़ों से जाहिर है कि पहली छमाही में राजकोषीय घाटे में इजाफा मुख्य रूप से राजस्व वृद्धि की रफ्तार मंद पड़ने के कारण हुआ है. महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा संपादित आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की समान अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा 91.3 फीसदी था. 

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सरकार का कुल व्यय सितंबर तक 13 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान का 53.4 फीसदी) था जबकि कुल प्राप्तियां 7.09 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान का 39 फीसदी) था. यह 2017-18 की समान अवधि में प्राप्त राजस्व की तुलना में 40.6 फीसदी है. वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "राज्य सरकारों को इस अवधि में कर की हिस्सेदारी के हस्तांतरण के तौर पर 3,22,189 करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 33,093 करोड़ रुपये ज्यादा है."

कुल व्यय में राजस्व खाते में 11.41 लाख करोड़ रुपये और पूंजी खाते में 1.63 लाख करोड़ रुपये हैं. वित्त मंत्रालय ने बताया कि कुल राजस्व खर्च में ब्याज भुगतान खाते में 2,55,432 करोड़ रुपये और प्रमुख अनुदान खातों में 1,88,291 करोड़ रुपये हैं.

दूसरी ओर, कुल प्राप्तियों में कर राजस्व 5.83 करोड़ रुपये, गैर-कर राजस्व 1.09 करोड़ रुपये और गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां 17,731 करोड़ रुपये शामिल हैं. गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों में कर्ज वसूली 7,786 करोड़ रुपये और सार्वजनिक क्षेत्र में विनिवेश की राशि 9,945 करोड़ रुपये है.

(इनपुट एजेंसी से)