फाइनेंशियल ईयर 2020-21 के सालाना बजट की तैयारी की प्रक्रिया आगामी 14 अक्टूबर से शुरू होगी. वित्त मंत्रालय इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. मंत्रालय के सामने आर्थिक विकास दर में गिरावट और रेवेन्यू कलेक्शन में कमी जैसे बड़े मामलों का भी समाधान निकालना है. वित्त वर्ष 2020-21 का बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा. यह नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दूसरा बजट होगा.

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मीटिंग का दौर हो जाएगा शुरू

बजट की प्रक्रिया को लेकर वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के डिपार्टमेंट की बजट इकाई के बजट परिपत्र (2020-21) के अनुसार, ‘‘बजट से पहले/संशोधित अनुमान को मीटिंग 14 अक्टूबर 2019 से शुरू हो जाएगी.’’ खर्च के मामले के सचिव की दूसरे सचिवों और वित्तीय सलाहकारों के साथ चर्चा पूरी होने के बाद वित्त वर्ष 2020-21 के लिये बजट अनुमानों को अस्थायी तौर पर अंतिम रूप दिया जाएगा. बजट से पहले होने वाली मीटिंग 14 अक्टूबर से शुरू होकर नवंबर के पहले सप्ताह तक जारी रहेगी.

सरकार ने यह परंपरा खत्म की

मोदी सरकार ने फरवरी के आखिर में पेश होने वाले बजट की सालों से चली आ रही परंपरा को खत्म कर दिया है. तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहली बार 2018-19 का बजट 1 फरवरी 2017 को पेश किया था.

इससे मंत्रालयों को बजट अमाउंट वित्त वर्ष की शुरूआत से अलॉट की जाती है. इससे जहां एक तरफ सरकारी विभाग बेहतर तरीके से खर्च की प्लानिंग करते हैं, वहीं कंपनियों को व्यापार और टैक्स प्लानिंग करने में भी मदद मिलती है.

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पहले जब बजट फरवरी के अंत में पेश किया जाता था तब तीन चरणों में संसद में बजट पारित होने की प्रक्रिया मई के मध्य में पूरी हो पाती थी. इससे राशि आबंटित होते-होते मानसून आ जाता था. इससे सरकारी विभाग अगस्त के अंत या सितंबर से ही परियोजनाओं पर खर्च शुरू कर पाते थे.