Dollar Vs Rupees: डॉलर के मुकाबले रुपया अभी 78 के लेवल से नीचे बना हुआ है. रुपये की कमजोरी के चलते आयात महंगा होगा और सरकार से लेकर आम आदमी को महंगाई परेशान करेगी. ऐसे में बाजार को रुपये में रिकवरी की उम्‍मीद है. हालांकि, एक्‍सपर्ट की राय उससे उलट है. उनका मानना है कि ग्‍लोबल लेवल पर जिस तरह का सेंटीमेंट है, उससे रुपये में अभी और गिरावट देखने को मिल सकती है. अब सवाल है कि रुपया आगे कहां तक टूट सकता है, रुपये की कमजोरी से किन मोर्चे पर सपोर्ट मिलेगा लेकिन महंगाई का डर कैसे है.

क्‍यों टूट रहा है रुपया? 

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ऐप बेस्‍ड इन्‍वेस्टिंग प्‍लेटफॉर्म Teji Mandi के फाउंडर वैभव अग्रवाल का कहना है, डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की वैल्‍यू में गिरावट की दो बड़ी वजहें हैं. पहला, विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं. दूसरा, डॉलर की लगातार बढ़ती खरीदारी है. रूस-यूक्रेन वार के चलते US फेडरल रिजर्व की ओर से ब्‍याज दरें बढ़ाने के एलान के बाद विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजारों से बड़े पैमाने पर नकदी निकाल रहे हैं. जब विदेशी निवेशक अपना निवेश रिडीम करते हैं, उन्‍हें रुपये में भुगतान मिलता है, जो बाद में डॉलर में कन्‍वर्ट होता है. इसके चलते डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और रुपये की डिमांड कमजोर रही है. 

वैभव अगवाल का कहना है कि मौजूदा ग्‍लोबल टेंड को देखकर एक्‍सपर्ट मान रहे हैं कि इस हफ्ते रुपया 78.70 के लेवल से तक जा सकता है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि डॉलर मजबूत बना हुआ है और विदेशी फंड्स की बिकवाली लागातार जारी है.

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महंगाई बढ़ाएगा टूटता रुपया? 

अग्रवाल का कहना है कि लगातार कमजोर होते रुपये से महंगाई और भड़केगी, जिसके चलते ब्‍याज दरों में इजाफा होगा. इससे शेयर बाजार में वॉलेटिलिटी बनी रहेगी. यानी, रुपये की गिरावट का सबसे बड़ा निगेटिव असर महंगाई पर ही देखने को मिलेगा. 

उनका कहना है, रुपये की गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) ने करेंसी मार्केट में दखल दिया. अप्रैल में RBI ने स्‍पॉट मार्केट में 2 अरब डॉलर बेचे. यह डॉलर की एक रिकॉर्ड बिकवाली है. इससे साफ पता चलता है कि रुपये में किस कदर कमजोरी है. हाल ही में रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये की कमजोरी को संभालने के लिए हर कदम उठाएगा.

कमजोर रुपये से इन 3 मोर्चों पर राहत! 

वैभव अगवाल कहना है कि रुपये में गिरावट के अपने नुकसान हैं, लेकिन लॉन्‍ग टर्म में इसका कुछ मोर्चें पर सपोर्ट भी मिल सकता है. उनका कहना है कि लॉन्‍ग टर्म में रुपये की कमजोरी से एक्‍सपोर्ट में इजाफा देखने को मिलेगा. डॉलर के मुकाबले सस्‍ते रुपये से विदेशी पर्यटक भारत का तेजी से रुख करेंगे. इसके अलावा, भारतीय IPOs मार्केट विदेशियों के लिए आकर्षक हुआ है.