लेट मानसून से इकोनॉमी को बड़ा खतरा, बढ़ सकती है महंगाई; डीटेल में समझें पूरी बात
साइक्लोन बिपरजॉय (Cyclone Biparjoy) के कारण मानसून आने में देर है. अल-नीनो इम्पैक्ट के कारण भारत में अभी तक बारिश सामान्य से 53 फीसदी कम हुई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इससे महंगाई बढ़ सकती है.
इंडियन इकोनॉमी के लिए मानसून का बड़ा महत्व है. अगर मानसून आने में देरी होती या फिर पर्याप्त बारिश नहीं होती है तो अर्थव्यवस्था पर इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं. जर्मनी की ब्रोकरेज फर्म डॉयचे बैंक ने कहा कि मानसून आने में देरी होने से महंगाई पर नकारात्मक असर दिख सकता है. बड़ी मुश्किल से महंगाई पर काबू पाया जा रहा है. प्रकृति के प्रकोप से यह बिगड़ सकता है.
GDP में कृषि का योगदान 20 फीसदी तक
भारत की GDP में कृषि का योगदान 15-20 फीसदी के करीब है. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होने के बावजूद अपने देश में 50 फीसदी खेती मानसून पर निर्भर है. अगर बारिश कम या देर से होती है तो खेती चौपट हो जाती है. नतीजन ग्रोथ पर असर दिखता है और महंगाई बढ़ जाती है.
53 फीसदी कम हुई है बारिश
डॉयचे बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में अभी तक बारिश सामान्य से 53 फीसदी कम हुई है. इसके अलावा जुलाई में आम तौर पर खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ते रहे हैं. ऐसी स्थिति में महंगाई के मोर्च पर ढिलाई बरतने की कोई भी गुंजाइश नहीं है. ब्रोकरेज फर्म ने वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. वहीं रिजर्व बैंक का अनुमान 5.1 फीसदी महंगाई का है. उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई पांच फीसदी या उससे नीचे तभी रह सकती है जब जुलाई एवं अगस्त के महीनों में खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी न हो.
बड़ी मुश्किल से कम हुई है महंगाई
रिपोर्ट के मुताबिक, अल-नीनो के हालात बनने और मानसून आने में देरी होने से हालात महंगाई के नजरिये से चिंताजनक हो सकते हैं. देश भर में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में विलंब होने से खरीफ सत्र की फसलों की बुवाई देर से हुई है. हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई महीने में खुदरा महंगाई के साथ थोक महंगाई में भी गिरावट आई है.
साइक्लोन के कारण मानसून में देरी
समाना भाषा में समझें तो जब समंदर का तापमान बढ़ जाता है तो उसे El Niño कहते हैं. जब अल-नीनो का प्रभाव बढ़ता है तो यह मानसून के पहुंचने में देर कर देता है. नतीजन देर से और अपर्याप्त बारिश होती है. अरेबियन सागर में Cyclone Biparjoy का बनना अल-नीनो का ही असर है. इसने मानसून के प्रोग्रेशन और डिस्ट्रीब्यूशन को बुरी तरह प्रभावित किया है. IMD का कहना है कि अमूमन मानसून और साइक्लोन एकसाथ दस्तक नहीं देते हैं. इस साल यह विशेष परिस्थिति की तरह है. माना जा रहा है कि जून के अंत तक मानसून जोर पकड़ेगा.
(भाषा इनपुट के साथ)
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