महंगाई को काबू में करने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंक दरों में जिस आक्रामक तरीके से वृद्धि कर रहे हैं वह निकट भविष्य में नुकसानदायक साबित होने वाला है. वित्तीय सेवा प्रदाता एमके वेल्थ मैनेजमेंट (Emkay Wealth Management) ने बुधवार को ये बात कही. कंपनी ने कहा कि भूराजनीतिक तनाव, कच्चे तेल के बढ़ते दाम और विकसित देशों में मंदी की बढ़ती आशंका कुछ प्रमुख चिंताएं हैं जो बाजारों के लिए खतरा बनी हुई हैं. एमके वैल्थ मैनेजमेंट में अध्ययन प्रमुख जोसफ के थॉमस ने एक वेबिनार में कहा कि भारत के लिए चिंता की कोई खास बात नहीं है, हालांकि निर्यात की रफ्तार घटने और करेंसी डिवैल्यूएशन का जोखिम जरूर है.

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डॉलर इंडेक्स और कच्चे तेल के दामों पर नजर रखने की जरूरत

थॉमस ने कहा, ''ज्यादातर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए मुद्रास्फीति चिंता का विषय है और केंद्रीय बैंक दरों में आक्रामक तरीके से वृद्धि कर रहे हैं. इससे मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ सकता है जो निकट भविष्य में नुकसानदायक होगा. अगली कुछ तिमाहियों में डॉलर इंडेक्स और कच्चे तेल के दामों पर नजर रखने की जरूरत है.''

भूराजनीतिक तनाव बढ़ने से सप्लाई चेन बाधित हुई, जिसकी वजह से दुनियाभर में महंगाई आसमान छूने लगी. इससे निपटने के लिए अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने हाल के दिनों में ब्याज दरों में तेज वृद्धि की है. एमके वैल्थ मैनेजमेंट में निश्चित आय के प्रमुख विशाल अमरनानी ने कहा, ''दरों में वृद्धि की वजह से पूंजी प्रवाह निश्चित आय और लोन में हो रहा है. ये माना जा रहा है कि दरों में अभी और वृद्धि होगी.''

शुक्रवार को रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है आरबीआई

बताते चलें कि भारतीय रिजर्व बैंक की तीन दिवसीय मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक आज से शुरू हो गई. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया शुक्रवार, 30 सितंबर को रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकता है. आरबीआई ने इस साल मई से रेपो रेट में 1.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है. इस दौरान रेपो दर 4 प्रतिशत से बढ़कर 5.40 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है. जानकारों का मानना है कि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है, जिसके बाद रेपो रेट बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो जाएगी.