Debt on State Government: देश के 10 राज्य पूरे देश को कर्ज (Debt) की दलदल में धकेल सकते हैं. राज्यों की वित्तीय हालत पर आरबीआई की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट में इन राज्यों की वित्तीय स्थिति और कर्ज के प्रबंधन पर चिंता जाहिर की गई है. आरबीआई (RBI)की मासिक रिपोर्ट के जून एडिशन में छपे इस अध्ययन में देश के 10 ऐसे राज्यों का चिन्हित किया गया है जो कर्ज के जाल में धंसते चले जा रहे हैं.आरबीआई ने इन राज्यों को चेतावनी दी है कि अगर इन्होंने खर्च और कर्ज का प्रबंधन सही तरीके से नहीं किया तो स्थिति गंभीर हो सकती है.

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पांच राज्य बढ़ा रहे हैं चिंता

आरबीआई की ओर देश के पांच ऐसे राज्यों का जिक्र किया गया है जो धीरे धीरे डेट ट्रैप में फंसते जा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कर्ज के भारी बोझ से दबे हैं. कर्ज के अलावा इन राज्यों का आमदनी और खर्च का प्रबंधन भी ठीक नहीं है. यानी ये राज्य ऐसी जगहों पर खर्च नहीं कर रहे हैं जहां से आमदनी के स्रोत पैदा हों. यही वजह है कि इन राज्यों में भविष्य में कर्ज की स्थिति और भयावह हो सकती है. यही नहीं इन राज्यों का वित्तीय घाटा भी चिंताएं बढ़ा रहा है. आरबीआई ने इन राज्यों को जरूरत से ज्यादा सब्सिडी का बोझ घटाने की सलाह दी है.

पंजाब में हालत सबसे ज्यादा खराब

कर्ज के जाल (Debt on State Government) में सबसे तेजी से फंसने वाला राज्य पंजाब है. हाल ही में पंजाब सरकार की ओर से राज्य की वित्तीय हालत पर एक श्वेत पत्र जारी किया गया. इसमें बताया गया कि राज्य को कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ता है. कहा जा रहा है कि पंजाब की पूर्ववर्ती सरकारों ने फ्री-बीज यानी मुफ्त की योजनाओं को लागू करने के चक्कर में सूबे का वित्तीय संकट बढ़ा दिया. पंजाब में किसानों को मुफ्त बिजली जैसी कई योजनाएं लागू हैं जिससे उसकी कर्ज की स्थिति खराब होती जा रही है. पंजाब पुराना कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेता है और इस तरह स्थिति ये है कि पंजाब का डेट टू स्टेट जीडीपी रेश्यो 49% पहुंच चुका है.

कर्ज का मानक क्या है?

दरअसल, भारत सरकार ने एफआरबीएम कानून में बदलाव की जरूरत तो महसूस करते हुए एन.के.सिंह समिति का गठन किया था. इस समिति ने अपनी सिफारिशों में केन्द्र और राज्यों की वित्तीय जवाबदेही के लिए कुछ मानक भी तय किए थे. समिति ने सरकार के कर्ज के लिये जीडीपी के 60 फीसदी की सीमा तय की है. यानी केंद्र सरकार का डेट टू जीडीपी रेश्यो 40 फीसदी और राज्य सरकारों का सामूहिक कर्ज 20 फीसदी तक ही रखने की सिफारिश की गई. अब अगर आरबीआई की रिपोर्ट में राज्यों के कर्ज की स्थिति देखें तो कर्ज के मामले में टॉप पांच राज्यों का कर्ज रेश्यो 35 फीसदी से भी ऊपर है.

पांच और संवेदनशील राज्य

आरबीआई (RBI)की मासिक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार, केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के अलावा पांच और ऐसे राज्य हैं जहां कर्ज (Debt on State Government) की समस्या कभी भी विकराल हो सकती है. ये राज्य हैं आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और मध्य प्रदेश इन राज्यों का भी डेट टू स्टेट जीडीपी रेश्यो मानक 20% से कहीं ऊपर है. जितना बड़ा प्रतिशत यानी उतनी कम राज्य की कर्ज चुकाने की क्षमता इसका सीधा मतलब ये है कि ये राज्य डिफॉल्ट की स्थिति की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.

आमदनी और खर्च का पैमाना

माना जाता है कि राज्यों की कमाई का कम से कम एक तिहाई हिस्सा निर्माण और विकास कार्यों पर खर्च किया जाना चाहिए. ताकी राज्य में विकास का पहिया घूमता रहे और इस चक्र में राज्य की कमाई के स्रोत पैदा होते रहें, लेकिन चिंता ये है कि इन राज्यों के खर्च का 90 फीसदी हिस्सा रेवेन्यू एक्सपेंसेस यानी सैलरी, पेंशन, सब्सिडी वगैरह में चला जाता है. इससे राज्यों की वापस कमाई होना नामुमकिन है, जबकि निर्माण कार्यों, कौशल विकास,नई स्वास्थ्य इकाइयों के लिए पैसा सिर्फ 10 फीसदी ही बचता है जो बहुत कम है. राज्यों के पास न तो केन्द्र की तरह इनकम टैक्स कलेक्शन जैसे आमदनी के बड़े जरिया हैं और न ही नोट छापने जैसे विकल्प. लिहाजा राज्यों के पास आमदनी के सीमित साधन बचते हैं और इसीलिए इनका तोल-मोल कर इस्तेमाल करना जरूरी हो जाता है.

कर्जे का बिजली कनेक्शन

इन तमाम राज्यों के कर्ज (Debt on State Government) में बहुत बड़ी भूमिका बिजली वितरण कंपनियों की भी है. दरअसल इन कंपनियों के नुकसान की भरपाई के लिए राज्यों को बिजली की दरें बढ़ाने की जरूरत है लेकिन ये फैसला राज्यों के लिए टेढ़ी खीर रहा है. बिजली का मसला सीधे वोटर से जुड़ा है इसलिए हर राज्य बिजली महंगी करने के फैसले से बचता रहा है. लिहाजा डिस्कॉम्स का घाटा सरकार के कर्ज (Debt) में इजाफा करता रहता है. जिन राज्यों में बिजली सप्लाई निजी हाथों को सौंपा गया है वहां हालात बेहतर हैं आलम ये है कि बिजली कंपनियों का सबसे ज्यादा घाटा आरबीआई की ओर चिन्हित इन्हीं 5 राज्यों से है. पूरे देश का 25 फीसदी डिस्कॉम लॉस इन्हीं 5 राज्यों यानी बिहार, केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से है.