क्रूड यानी कच्चा तेल, किसी भी देश की इकोनॉमी के लिए सबसे अहम हिस्सा है. क्योंकि आर्थिक चक्र इसी से ही तो चलता है. क्रूड की कीमत में किसी भी तरह की हलचल इकोनॉमी में भूचाल ला देती है. यही कारण है कि कच्चे तेल की कीमतों पर सबकी नजर रहती है. फिलहाल ताजा अपडेट यह है कि क्रूड की कीमतों में एकाएक 9% की तेजी दर्ज की गई है. क्योंकि कच्चे तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन घटाने का फैसला किया है. इससे महंगाई को रोकने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को जोरदार झटका लगेगा.

क्रूड प्रोडक्शन में होगी कटौती

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सबसे पहले यह समझिए कि आखिर हुआ क्या है? तो OPEC+ देशों ने क्रूड प्रोडक्शन घटाने का फैसला किया है. इसके तहत प्रति दिन 11 लाख बैरल उत्पादन कम किया जाएगा. कटौती को लेकर किए गए इस फैसले को मई, 2023 से ही लागू किया जाएगा. मार्केट में इस खबर के आते ही इंटरनेशनल बाजारों में क्रूड की कीमतों में जोरदार एक्शन दिखा और कीमतें करीब 8 से 9% का उछाल आया. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैश के मुताबिक ओपेक प्लस के इस फैसले के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमतें और बढ़ेंगी. यह दिसंबर, 2023 तक 95 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं.  

इकोनॉमी पर पड़ेगा सीधा असर

क्रूड में उबाल का बुरा असर भी पड़ेगा. क्योंकि कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी से पेट्रोल और डीजल के दाम में भी बढ़ोतरी हो सकती है. इससे कई कंपनियों के लिए कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. इसका सीधा असर घरेलू इकोनॉमी पर होता है. क्योंकि भारत करीब 80% कच्चा तेल इंपोर्ट करता है. कुल इंपोर्ट बिल में 20% हिस्सा कच्चे तेल का ही होता है. 

$1 दाम बढ़ने से कितना पड़ता है असर 

आसान भाषा में समझें तो क्रूड की कीमतों में 1 डॉलर की बढ़ोतरी के चलते GDP पर करीब 0.05 % का असर पड़ता है. यानी रिटेल महंगाई (CPI) पर करीब 5 से 6 bps का असर होता है. यही नहीं देश की करेंसी यानी रुपए पर भी करीब 0.3% से 0 .4 % का असर होता है. 

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