Crisil Report on Indian Economy: रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि वर्तमान दशक के अंत तक भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत वार्षिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. रेटिंग एजेंसी की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 से 2030-31 के बीच अर्थव्यवस्था इस दर से बढ़ेगी. यह दर महामारी से पहले की औसत वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत से थोड़ी अधिक है. अपने रिपोर्ट में क्रिसिल ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को  ब्याज दर के मोर्चे पर सचेत रहने के लिए कहा है.  

पूंजीगत व्यय में बढ़ोत्तरी से मिलेगा समर्थन, अगले साल 6.4 फीसदी ग्रोथ का अनुमान 

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क्रिसिल के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने में पूंजी का मुख्य रूप से योगदान होगा. रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने निर्माण गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि की है और राज्यों के निवेश प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए ब्याज मुक्त ऋण दे रही है. क्रिसिल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के बाद, अगले वित्त वर्ष में इसके 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 

ब्याज दर के मोर्चे पर रहना होगा सतर्क, महंगाई को लाना होगा चार फीसदी से नीचे

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई ब्याज दर के मोर्चे पर सतर्क रहेगा, क्योंकि उसकी नजर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर लाने पर रहेगी. गौरतलब है कि अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ाने की घोषणा की थी. अगले वर्ष के लिए पूंजीगत व्‍यय को 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया जा रहा है जो जीडीपी का 3.4 प्रतिशत होगा. राजकोषीय घाटा वर्ष 2024-25 में जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 

 

पूंजीगत व्‍यय के लिए राज्‍यों को 50 वर्षीय ब्‍याज मुक्‍त ऋण देने की योजना इस वर्ष जारी रखी जाएगी, कुल परिव्‍यय 1.3 लाख करोड़ रुपये का होगा. अंतरिम बजट में कर दरों में किसी भी बदलाव का प्रस्‍ताव नहीं किया गया है.