व्यापारियों के संगठन Confederation of All India Traders (CAT) ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs) द्वारा ई-कॉमर्स (e-commerce) कंपनी अमेजन (Amazon) पर लगाए गए जुमार्ने को नाकाफी बताया है. मंत्रालय ने अमेजन पर अपने प्लेटफॉर्म पर बेच रहे उत्पादों का निर्माण देश यानी कंट्री ऑफ ऑरिजिन (Country of origin) का ब्यौरा नहीं देने पर 25 हजार रुपये का जुमार्ना लगाया था. कैट ने कहा है कि जुमार्ने को वसूलने का मूल यह है कि अपराधियों को उनकी गलती का अहसास कराया जाए, ताकि वे इस अपराध को और अधिक न कर सकें. 

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सरकार करे सख्त कार्रवाई (Government should take strict action)

कैट ने कहा कि इन कंपनियों के खिलाफ सरकार ऐसी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जो एक नजीर बने, इसलिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (e-commerce platform) पर सात दिनों तक प्रतिबंद लगा दिया जाना चाहिए. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) बी. सी. भरतिया और महासचिव (General Secretary) प्रवीण खंडेलवाल (Pravin Khandelwal) ने यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि इतना मामूली जुमार्ना लगाया जाना न्यायिक और प्रशासन का मजाक उड़ाना भर है. कैट ने मांग की है कि जुमार्ना या सजा का प्रावधान अर्थव्यवस्था (economy) को हुए नुकसान के हिसाब से लगाया जाना चाहिए.

वोकल फोर लोकल करे मिले बढ़ावा (Vocal Four Local)

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा आह्वान किए गए वोकल फोर लोकल (Vocal Four Local) और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि उत्पादों का कंट्री ऑफ ऑरिजिन का ब्यौरा दिया जाए, लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियां (e-commerce companies) लगातार नियमों और कानूनों का खुला उल्लंघन करने पर आमदा है. कैट ने मांग की है कि इन कंपनियों द्वारा पहली गलती किए जाने पर सात दिनों और दूसरी बार गलती किए जाने पर 15 दिनों का प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

नियमों के तहत लगे जुर्माना Fines levied under rules

कैट ने यह भी कहा कि ऐसे नियमों के उल्लंघन करने पर कंपनियों के खिलाफ केंद्र सरकार (Central Government) तय प्रावधानों के तहत जुमार्ना लगाए. कैट ने कहा है कि अमेजन जैसी बड़ी वैश्विक ई कॉमर्स कंपनी के लिए 25 हजार रुपये का जुमार्ना (penalty provision) काफी मामूली रकम है. अगर जुमार्ने की राशि या सजा का प्रावधान सख्त होगा तो ये कंपनियां नियमों का उल्लंघन (violating the rules) करने से पहले कई बार सोचेगी. भरतिया और खंडेलवाल ने 25,000 रुपये की राशि का जुमार्ना कानून के साथ समझौता करने जैसा करार दिया और कहा कि कानून हर किसी के लिए समान होना चाहिए. उन्होंने यह भी मांग की है कि फ्लिपकार्ट (Flipkart) और मिंत्रा (Myntra) जैसे ई कॉमर्स कंपनियों के लिए भी इस नियम को समान रूप से लागू किया जाना चाहिए.