Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी 2024 को वित्त वर्ष 2024-25 का बजट (Budget 2024-2025) पेश कर सकती हैं. इस बजट से आम आदमी और कारोबारियों को काफी उम्मीदें हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीजों का सस्ती होना या महंगा होना किन चीजों पर डिपेंड करता है.  तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे तय होता है किसी भी सामान का महंगा या सस्ता होना..

बजट में चीजें सस्ती या महंगी होती हैं?

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GST लागू होने के बाद ज्यादातर प्रोडक्ट्स पर रेट GST काउंसिल तय करती है. बजट में इन प्रोडक्ट्स में किसी तरह का बदलाव नहीं होता. लेकिन, बजट में कुछ संकेत जरूर दिए जा सकते हैं. फिर भी अंतिम निर्णय काउंसिल का ही होता है. वित्त मंत्री GST पर उपकर (Cess) लगा सकती हैं. इससे भी चीजें सस्ती या महंगी हो सकती हैं. इसके अलावा, कस्टम ड्यूटी या एक्साइज ड्यूटी में बदलाव करके भी कुछ चीजों की कीमतों पर असर पड़ता है.

2023 में क्या सस्ता क्या महंगा?

कपड़ा, चमड़े का सामान, मोबाइल फोन, चार्जर, हीरे के आभूषण, खेती के सामान सस्ते हुए थे. इसके अलावा पॉलिस हीरे पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई थी. विदेशी मशीन और इलेक्ट्रॉनिक सामान सस्ते हुए थे. फ्रोजन मसल्स, फ्रोजन स्क्विड, हींग, कोको बीन्स, मिथाइल अल्कोहल, एसिटिक एसिड, सेलुलर मोबाइल फोन के लिए कैमरा लेंस भी सस्ते हुए थे.  सरकार ने शराब, काबुली चना, मटर, मसूर की दाल समेत कई उत्पादों पर कृषि इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर सेस लगाने की भी घोषणा की थी. कई तरह के कच्‍चे माल पर कस्‍टम ड्यूटी बढ़ाई और कुछ स्टील उत्पादों पर ड्यूटी हटाई गई थी. इसके अलावा कॉपर स्क्रैप पर ड्यूटी को 5% से घटाकर 2.5% कर दिया गया था. मोबाइल्‍स के कुछ पार्ट्स पर 2.5% ड्यूटी लगाई गई थी.

पिछले बजट में कॉटन, सिल्क, प्‍लास्टिक, लेदर, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स, ऑटो पार्ट्स, सोलर प्रॉडक्‍ट्स, मोबाइल, चार्जर, इंपोर्टेड कपड़े, रत्‍न, LED बल्ब, फ्रिज/एसी और शराब बजट में महंगे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर नायलॉन के कपड़े, लोहा, स्टील, कॉपर आइटम्‍स, सोना, चांदी और प्लेटिनम जैसी चीजें सस्ती हुई थीं.

बजट का असर ज्यादा प्रोडक्ट्स पर नहीं

अब 90% चीजों की कीमत GST तय करता है, लेकिन विदेश से मंगाई जाने वाली वस्तुओं पर इंपोर्ट ड्यूटी का असर रहता है और इसकी घोषणा बजट में की जाती है. इसलिए पेट्रोल, डीजल, LPG, CNG और इंपोर्टेड प्रोडक्ट्स जैसे- शराब, चमड़ा, सोना-चांदी, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स, मोबाइल, केमिकल, गाड़ियां जैसी चीजों की कीमतों पर बजट घोषणाओं का असर पड़ता है. सरकार इन पर ही इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाती या घटाती है.  कुछ पर एक्साइज भी लगाया जाता है.

इंपोर्ट ड्यूटी क्या होती है?

इंपोर्ट ड्यूटी वह टैक्स है जिसे किसी दूसरे देश से आने वाले सामान (इंपोर्ट) पर वसूला जाता है. इंपोर्ट ड्यूटी कितनी लगेगी, यह सामान की कीमत के साथ-साथ सामान किस देश का है, इसके साथ ही कई अन्य चीजों पर भी निर्भर करता है. इंपोर्ट ड्यूटी को कस्टम ड्यूटी, टैरिफ, इंपोर्ट टैक्स या इंपोर्ट टैरिफ भी कहते हैं. इंपोर्ट ड्यूटी के दो मकसद होते हैं- सरकार के लिए आय जुटाना और लोकल लेवल पर प्रोड्यूस होने वाले सामान को मार्केट में फायदा दिलाना.

हर साल बजट में होता है ऐसा निर्णय

सरकार हर साल अलग-अलग फैक्‍टरों की जांच करके ये तय करती है किस सामान पर कस्टम शुल्क बढ़ाना है और किस पर नहीं बढ़ाना है. हमारे दैनिक सामानों के सस्ता या महंगा होने में इस कस्टम शुल्क की बड़ी भूमिका होती है.