Budget 2023: जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने अगले वित्त वर्ष के बजट (Budget 2023) से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखकर सोशल सिक्योरिटी के तहत पेंशन (Pension) बढ़ाने और मातृत्व लाभ (Maternity Benefits) के लिये पर्याप्त प्रावधान करने की मांग की है. वित्त मंत्री सीतारमण अगले वित्त वर्ष का बजट 1 फरवरी, 2023 को पेश करेंगी.

इन अर्थशास्त्रियों ने पत्र पर किए हस्ताक्षर

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पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के मानद प्रोफेसर ज्यां द्रेज, कैलिफोर्निया बार्कले यूनिवर्सिटी के मानद प्रोफेसर प्रणब बर्धन, मुंबई स्थित इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च (आईआईडीआर) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आर नागराज, आईआईटी दिल्ली में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रीतिका खेरा, जेएनयू के मानद प्रोफेसर सुखदेव थोराट समेत अन्य शामिल हैं.

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अर्थशास्त्रियों ने पत्र में कहा कि उन्होंने इससे पहले 20 दिसंबर, 2017 और 21 दिसंबर, 2018 को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी पत्र लिखा था. उन्होंने लिखा है, पत्र के जरिये हम आपको फिर से याद दिला रहे हैं. हमने अगले केंद्रीय बजट के लिये दो प्राथमिकताओं को चिह्नित करने की कोशिश की है. इसमें पहला, सोशल सिक्योरिटी के लिये पेंशन में बढ़ोतरी और दूसरा पर्याप्त मैटरनिटी बेनिफिट्स का प्रावधान है.

बुजुर्गों की पेंशन बढ़े

पत्र में लिखा है, पूर्व में दोनों प्रस्तावों को नजरअंदाज कर दिया गया था, हम उन्हीं सिफारिशों को फिर से लिख रहे हैं. इसमें कहा गया है कि नेशनल ओल्ड एज पेंशन स्कीम  (NOAPS) के तहत बुजुर्गों की पेंशन में केंद्र सरकार का योगदान 2006 से महज 200 रुपये प्रति माह पर स्थिर बना हुआ है. अर्थशास्त्रियों ने लिखा है, यह ठीक नहीं है. पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार के योगदान को तुरंत बढ़ाकर कम-से-कम 500 रुपये (अगर हो सके तो अधिक) किया जाना चाहिए.

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विधवाओं के लिए पेंशन बढ़ाकर 500 रुपये की जाए

इसी प्रकार विधवाओं के लिए पेंशन 300 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति महीने की जानी चाहिए. पत्र के अनुसार, विधवाओं के लिए पेंशन मद में 1,560 करोड़ रुपये की लागत आएगी. पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में एनएफएसए (National Food Security Act) मानदंडों के तहत मातृत्व अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू किये जाने की भी मांग की है. इसके लिये कम-से-कम 8,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.

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