Budget 2022: देश के टैक्सपेयर्स को इस बार बजट 2022 से बड़ी उम्मीदें है. वित्त मंत्री से भी उम्मीद की जा रही है कि वो अपने बजट में टैक्सपेयर्स को निराश नहीं करेंगी. खासकर कोविड महामारी में अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए टैक्सपेयर्स को राहत देना बेहद जरूरी है. चर्चा है कि इस बार नौकरीपेशा को बड़ा फायदा दिया जा सकता है. खासकर उन लोगों को जो वर्क फ्रॉम होम (Work from home) की कंडिशन में हैं.

Work from home अलाउंस की मिल सकती है सौगात

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Work from home से नौकरीपेशा का खर्च काफी बढ़ गया है. इंटरनेट-ब्रॉडबैंड, टेलीफोन, फर्नीचर और बिजली का बिल पहले के मुकाबले ज्यादा है. पहले ऑफिस इंफ्रास्ट्रक्चर में इन सब खर्च की बचत होती थी. इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी बजट (Budget 2022) में नौकरीपेशा को सरकार से वर्क फ्रॉम होम अलाउंस (Work from home allowance) की सौगात मिल सकती है.

50 हजार रुपए का वर्क फ्रॉम होम डिडक्शन

टैक्स सर्विसेज और फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी Deloitte India ने डिमांड है कि कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम अलाउंस दिया जाना चाहिए. अगर सरकार सीधे तौर पर अलाउंस नहीं दे सकती तो टैक्स में छूट का प्रावधान करना चाहिए. डेलॉएट ने ब्रिटेन में वर्क फ्रॉम होम (Work from home) कल्चर का जिक्र किया. उसने कहा ब्रिटेन में कर्मचारियों को टैक्स रिलीफ देने के लिए सरकार ने खास नियम बनाए हैं. भारत में इस तरह से नौकरी करने वालों को छूट दी जा सकती है. Deloitte India की सलाह है कि जो कर्मचारी अपने घरों से काम कर रहे हैं उनको 50 हजार रुपए तक का वर्क फ्रॉम होम डिडक्शन दिया जाए.

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ICAI ने भी रखी डिमांड

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने भी अपनी सिफारिशों में ऐसी ही डिमांड की है. ICAI की सलाह है कि सरकार को बजट 2022 में वर्क फ्रॉम होम खर्च पर टैक्स रिलीफ देना चाहिए. फर्नीचर या घर पर ऑफिस सेटअप पर होने वाले खर्च पर टैक्स छूट मिलनी चाहिए. क्योंकि, अगर कर्मचारी ऑफिस के काम के लिए फर्नीचर जैसे कि डेस्ट, कुर्सी या अन्य सामान खरीदता है तो उस खर्च पर कर्मचारी को अपनी तरफ से टैक्स भरना होगा, जबकि काम ऑफिस का होता है.

स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ाने की मांग

ICAI की डिमांड है कि टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी राहत देनी चाहिए. इसकी लिमिट बढ़ाने की जरूरत है. इनकम टैक्स के तहत अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपए है. इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाना चाहिए. स्टैंडर्ड डिडक्शन की मांग वैसे खर्च के लिए की जा रही है जो ऑफिस के काम पर होता है और यह प्रोफेशनल टैक्स के अतिरिक्त होता है.