Budget 2022: 2013 के बजट में कमोडिटी फ्यूचर ट्रेडिंग पर CTT यानी कमोडिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स लगाया गया. हर साल इंडस्ट्री इसे हटाने की मांग करती है, लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है. इंडस्ट्री का मानना है कि ट्रांजैक्शन टैक्स लगने से न सिर्फ वॉल्यूम में भारी गिरावट आई है, बल्कि बड़े कॉरपोरेट्स ने दुनिया के बाजारों का रुख करना शुरू कर दिया है. इंडस्ट्री की दलील है कि अगर सरकार कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट को बचाना चाहती है तो इस बजट में CTT हटाने या घटाने का एलान होना चाहिए.

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क्या है CTT?

2013 के बजट में वित्त मंत्री ने नॉन-एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार यानी बुलियन, एनर्जी, मेटल पर 0.01 परसेंट कमोडिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स लगाने का एलान किया था. मतलब 1 करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन पर 1000 रुपये टैक्स. CTT लगाने के पीछे सरकार का मकसद इसके जरिए कम से कम 2000 करोड़ रुपये जुटाने का था. लेकिन इंडस्ट्री का मानना है कि सरकार इससे महज 600 करोड़ रुपये के करीब ही वसूल पाती है. उसमें भी अगर GST के नुकसान को जोड़ लिया जाए तो यह रकम 450 करोड़ के आसपास ही बैठती है.

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वॉल्यूम में भारी गिरावट

कमोडिटी ब्रोकर्स के सबसे बड़ा संगठन कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी CPAI का मानना है कि CTT के बाद कमोडिटी के वायदा कारोबार में भारी गिरावट आई है. पिछले 9-10 सालों में वॉल्यूम 60 परसेंट से ज्यादा घट गया है. 2012-13 में जहां 70 हजार करोड़ का वॉल्यूम हुआ करता था वो 2020-21 में घटकर 31 हजार 500 करोड़ रुपये से भी कम रह गया. दुनिया के चुनिंदा औद्योगिक देशों में शुमार होने के बावजूद बड़ी इंडस्ट्रियल कमोडिटी कॉपर का कारोबार भारतीय एक्सचेंज MCX पर चीन के एक्सचेंज से 32 गुना कम और लंदन के एक्सचेंज के मुकाबले 63 गुना कम है.

इंडस्ट्री की मांग

इंडस्ट्री की मांग है कि सरकार को CTT तुरंत हटा देना चाहिए, क्योंकि इससे कोई ज्यादा रेवेन्यू नहीं मिल पा रहा. अगर वित्त मंत्री पूरा CTT नहीं खत्म कर  सकती हैं तो कम से 1000 रुपये प्रति करोड़ से घटाकर इसे 500 रुपये प्रति करोड़ कर दें. और अगर ये भी मुमकिन ना हो तो CTT को टैक्स पेड के तौर पर माना जाए ना कि एक्सपेंस यानी खर्च के तौर पर. इससे इनकम टैक्स एक्ट के चैप्टर आठ के तहत टैक्स में छूट मिलेगी. इंडस्ट्री संगठन CPAI का मानना है कि सरकार के इन कदमों से ना सिर्फ कमोडिटी मार्केट में वॉल्यूम बढ़ेगा, बल्कि रोजगार के नए मौके भी बनेंगे. कमोडिटी मार्केट में मजबूती आएगी, नए प्रोडक्ट आएंगे और सरकार को भी रेवेन्यू का फायदा होगा.