Budget 2021 Expectations: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) का असर वैसे तो तमाम सेक्टर्स पर पड़ा है, लेकिन हमारा एजुकेशन सेक्टर (Education Sector) पूरी तरह से चरमरा गया है. अब जब पूरी दुनिया इस महामारी से उबर रही है, एजुकेशन सेक्टर पर अभी भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं. हालांकि तमाम राज्यों ने 10 और 12 की कक्षाओं के लिए स्कूल खोल दिए हैं, लेकिन इनमें भी रौनक नहीं लौटी है.

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एजुकेशन सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था बुरी स्थिति में है, इसके समाधान खोजने के लिए सरकार की ओर से उठाए जाने वाले कदम की जरूरत है. 

अब जब बजट आना वाला है और आम आदमी से लेकर देश के तमाम सेक्टर्स को बजट (Budget 2021) से तमाम राहत की उम्मीदें हैं. इसी क्रम में एजुकेशन सेक्टर भी बजट की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है. 

एजुकेशन सेक्टर को उम्मीद (Education Sector Expectations)

भारतीयम इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक भारत गोयल का कहना है कि उन्हें बजट 2021 से ढेरों उम्मीदें हैं क्योंकि इसे बुनियादी ढांचे के अलावा पूरे देश के सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों में मिलने वाली सुविधाओं में जरूरी बदलाव को संज्ञान में लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि बड़े-पैमाने पर निवेश के अलावा निवेश को एकसाथ लाने की जरूरत है, जो कक्षाओं के अलावा संस्थानों में मिलने वाली सुविधाएं बेहतर करने के लिए आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि एजुकेशन के कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जिन्हें फिर से शुरू करने की जरूरत है. इसलिए बजट का एक बड़ा हिस्सा अलग-अलग शिक्षण विधियों की ओर लगना चाहिए. इनमें टीचरों को ट्रेनिंग देना भी शामिल है, जिससे वे नए-पुराने टीचिंग के तरीकों और सहायक उपकरणों का इस्तेमाल करें.

नई शिक्षा नीति के अनुसार, शिक्षा पर होने वाले कुल सरकारी खर्च में 10 प्रतिशत के मुकाबले साल 2030 तक 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होनी चाहिए. इसलिए, उम्मीद की जा रही है कि सरकार मौजूदा शिक्षा बजट में शिक्षण पर होने वाला खर्च बढ़ाएगी. 

नए जमाने के शिक्षण उपकरणों में स्मार्ट क्लासरूम से लेकर वैचारिक सीखने के तरीके तक शामिल हैं. मूलभूत और प्रैक्टिकल सीखने के तरीकों को कम उम्र के बच्चों के जीवन का हिस्सा बनना चाहिए इसलिए, एक व्यवस्था की आवश्यकता है जो देशभर में प्री-स्कूल्स स्थापित करे और ऐसा करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता है, यही वजह है कि बजट से बहुत सी उम्मीदें हैं.

जीएसटी में राहत मिले (GST Relief)

भारत गोयल का कहना है कि शिक्षा विभाग को हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स के CTE प्रोग्राम पर ज्यादा खर्च करने की आवश्यकता है. हमारे देश में स्कूल, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की ओर से दी जाने वाली मुख्य सेवाएं जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. इसके अलावा स्कूल से बाहर की शिक्षा जैसे- हॉबी क्लासेज, खेलों का प्रशिक्षण पर 18 परसेंट GST लागू होता है और जब ये खर्च माता-पिता के जिम्मे आता है तो उन्हें परेशानी होती है. हमें उम्मीद है कि पूरक शिक्षा में मौजूद GST स्लैब पर फिर से विचार किया जाएगा. 

हायर एजुकेशन के बारे में (Higher Education Budget)

जहां तक हायर एजुकेशन का सवाल है, बेहतर प्रदर्शन करने वाले सार्वजनिक संस्थानों की आवश्यकता है और उन्हें शोध पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है. ऐसे में दुनियाभर के नामी संस्थानों की तरह यूनिवर्सिटी को स्थापित किया जाना आवश्यक है. इस सिस्टम में सभी सुविधाओं को आधुनिक बनाने के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता है. 

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