Budget 2021: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) कल संसद के पटल पर देश का आम बजट (AAM Budget 2021) पेश करने जा रही हैं. कोरोना महामारी से धीरे-धीरे उबर रहे देश को बजट से ढेर सारी उम्मीदें हैं. आम आदमी हो या फिर खास, हर कोई बजट की ओर निगाह लगाए बैठा है. 

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मार्केट की बात करें तो हर सेक्टर बजट में राहत से सपने पाले बैठा है. इंश्योरेंस सेक्टर हो या रियल एस्टेट, समाज कल्याण की बात हो या फिर टैक्स से छूट, हर स्तर पर उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री के पिटारे से उनके लिए कुछ न कुछ राहत जरूर निकलेगी.

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के सीईओ राकेश जैन और आर्थिक मामलों की जानकार तथा लेखिका मोनिका हालन बीमा सेक्टर में बड़ी राहत की उम्मीद कर रहे हैं. उम्मीद की वजह बताते हुए वे कहते हैं कि भारत में इंश्योरेंस सेक्टर में अपार संभावनाएं हैं. 

इंश्योरेंस में एफडीआई  (FDI for insurance)

बीमा क्षेत्र में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) बढ़ाने की जरूरत है. इंश्योरेंस में एफडीआई 74 फीसदी करने की जरूरत है. खुद बीमा इंडस्ट्री और बीमा नियामक IRDAI विदेशी निवेश बढ़ाने के पक्ष में हैं.

 

टैक्स में राहत और होम इंश्योरेंस (Home Insurance)

'सबके लिए घर' भारत सरकार की अहम प्राथमिकता है. भारत में होम इंश्योरेंस की पहुंच बहुत कम है. होम इंश्योरेंस की पहुंच जीडीपी के 0.1 फीसदी से भी कम है. एक्सपर्ट का तो कहना है कि होम इंश्योरेंस को अनिवार्य करने की जरूरत है. साथ ही होम इंश्योरेंस पर टैक्स छूट ज्यादा होनी चाहिए  

समाज कल्याण योजनाएं (Social Welfare Schemes)

भारत में 56 फीसदी से ज्यादा लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है और मेडिकल इंफ्लेशन 15 फीसदी से ज्यादा है. इसलिए हेल्थकेयर को अफोर्डेबल बनाने की जरूरत है. सस्ता इलाज इंश्योरेंस के जरिए ही संभव है. देश में अफोर्डेबल हेल्थकेयर को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. 

 

एक्सपर्ट की मांग है कि मेडिकल इक्विपमेंट्स पर कस्टम्स ड्यूटी हटाई जाए, मेडिक्लेम पर 80D के तहत टैक्स छूट बढ़ाई जाए और हेल्थकेयर पर जीएसटी की दर कम होनी चाहिए.

टैक्स पर राहत मिले (relief in tax exemption)

बजट 2020 में नई टैक्स रिजीम लाई गई. नई टैक्स रिजीम में छूट को शामिल नहीं किया गया है. डिडक्शन हटाने का असर निवेश पर पड़ता है. इसलिए 80D के तहत टैक्स छूट जारी रखी जाए और हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स छूट भी बढ़ाई जानी चाहिए.

टैक्स फ्री बॉन्ड (tax free bonds)

इंश्योरेंस सेक्टर के लिए टैक्स फ्री बॉन्ड्स लाए जाएं. बेहतर इंटरेस्ट रेट्स के साथ टैक्स फ्री बॉन्ड ला सकते हैं. बॉन्ड की बदौलत पॉलिसीहोल्डर को कंपनियां बेहतर सेवाएं दे सकेंगी.

कॉरपोरेट टैक्स (Corporate tax)

सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स रेट 22 फीसदी किया है. कैपिटल गेन टैक्सेशन में कुछ दिक्कतें हैं. सरकार को कॉरपोरेट टैक्स पर राहत देनी चाहिए. अनलिस्टेड कंपनियों के लिए ज्यादा दिक्कतें हैं. अनलिस्टेड शेयर पर चार्ज लिस्टेड शेयर के समान होने चाहिए.

 

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