Budget 2019 : नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का बजट 2019 (Budget 2019) शुक्रवार को पेश होगा. यह पूर्ण बजट होगा. फरवरी में सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था. 'जी बिजनेस' के खास कार्यक्रम 'बजट की पाठशाला' में Budget एक्‍सपर्ट वरिंदर बंसल ने इसकी बारिकियां बताईं. उन्‍होंने बताया कि 'बजट एट ए ग्‍लांस डॉक्‍यूमेंट' में हर तरह की जानकारी दी जाती है.

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बंसल ने बताया कि इस डॉक्‍यूमेंट में सरकार की आमदनी और खर्चों का ब्‍योरा होता है. इसे एनुअल फाइनेंशियल स्‍टेटमेंट कहते हैं. यह देश के हर वर्ग को प्रभावित करता है. यह दो भाग में होता है. रेवेन्‍यू बजट और कैपिटल बजट. रेवेन्‍यू बजट में 90 फीसदी टैक्‍स होता है. इसमें डायरेक्‍ट और इनडायरेक्‍ट टैक्‍स, ब्‍याज, डिविडेंड, सर्विस से जुड़ी फीस होती है. वहीं कैपिटल बजट में सरकारी विभागों के खर्च, कर्ज पर ब्‍याज और सब्सिडी शामिल होती है.

पूंजीगत प्राप्ति और खर्च में अंतर

पूंजीगत प्राप्ति (Capital Receipts) और पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) दोनों अलग-अलग हैं. पूंजीगत प्राप्ति में पब्लिक से लिया कर्ज, RBI से जुटाया कर्ज, विदेशी सरकार से मदद और लोन रिकवरी होती है. जबकि पूंजीगत खर्च में एसेट खरीदने पर खर्च या इनवेस्‍टमेंट और राज्‍य सरकारों को दिया गया लोन शामिल होता है.

क्‍या होता है वित्‍तीय घाटा

वरिंदर बंसल ने बताया कि वित्‍तीय घाटा (Fiscal Deficit) पूंजीगत प्राप्ति और पूंजीगत खर्च के बीच का अंतर होता है. वित्‍तीय घाटे को GDP से भाग देने पर प्रतिशत पता चल जाता है.