वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी पहली खाता-बही में देश के आर्थिक विकास को तेज रफ्तार देने का मजबूत खाता तैयार किया है. यह बजट अगले पांच साल में भारत को 5 खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में कारगर कदम उपाय साबित होगा. कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के सीईओ राजीव सिंह ने यूनियन बजट को देश की अर्थव्यस्था में गति लाने के लिए एक सार्थक बजट बताया है. 

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उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी 2.0 सरकार का पहला बजट पेश करके भारत को अगले पांच साल में पांच खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाया है. इस कवायद में उन्होंने राष्ट्र निर्माता की भूमिका अपनाते हुए एक मझे हुए लेखाकार की भूमिका निभाई है. 

बजट में जो प्रावधान किए गए हैं वह देश की दशा और दिशा तय करने में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकते हैं. इन कदमों का लक्ष्य न्यू इंडिया के लिए भविष्य की योजनाओं और विकास की रणनीति के साथ मजबूत बुनियाद रखना है. 

राजीव सिंह कहते हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में चिंताजनक माहौल और घरेलू अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए बजट में यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है कि यह विस्तार और आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने वाला साबित हो. साथ ही ऐसे कई उपाय किए गए हैं जिससे राजकोषीय घाटा सीमा के भीतर रहे जो रेटिंग एजेंसियों की साख में गिरावट को रोकने के लिए बहुत जरूरी है. इस मोर्चे पर वित्त मंत्री सीतारमण अपनी सूझबूझ से बजट में अच्छा संतुलन बनाने में सफल रही हैं.

बुनियादी ढांचा होगा मजबूत

कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के सीईओ कहते हैं कि विकास के इंजन को रफ्तार देने के लिए वित्त मंत्री ने बजट में कई बड़े उपाय किए हैं. इसके तहत बुनियादी ढांचे के विकास पर 100 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया है. रेलवे के विस्तार के लिए आने वाले वर्षो में 50 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. चूंकि भारत को बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए लंबी अवधि में बड़ी मात्रा में पूंजी की जरूरत है इसलिए सरकारी उधारी जुटाने के लिए वैश्विक बाजार में संभावनाएं तलाशने की घोषणा की गई है. यदि इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया जाए तो राजकोषीय घाटा, ब्याज दरों में अंतर और वित्तीय तरलता की स्थिति को देखते हुए यह उचित रणनीति साबित हो सकती है. इस उपाय से बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण और आधुनिकीकरण में मदद मिल सकती है जो लंबी अवधि में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगी.

बैंकिंग के क्षेत्र में किए गए उपायों के बारे में राजीव सिंह कहते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 70,000 करोड़ रुपए की पूंजी देने से बैंकिंग प्रणाली में मजबूती आएगी जिससे बैंक पहले की तुलना में ज्यादा कर्ज दे सकेंगे. एनबीएफसी से एक लाख करोड़ रुपए की उच्च साख दर वाली संपत्ति खरीद पर सरकार ने पहले छह महीने में 10 फीसद तक के नुकसान की छह महीने की गारंटी लेने की घोषणा की है. इससे वित्तीय तरलता संबंधी चिंताएं दूर होंगी. साथ ही ऋण वृद्धि की दर बढ़ाने में मदद मिलेगी. किफायती आवासों पर होमलोन के ब्याज पर आयकर में अतिरिक्त कटौती से रीयल एस्टेट उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है. 

एक और अहम कदम के तहत आवास वित्त कंपनियों का नियामक अब आरबीआई होगा. अभी तक ये कंपनियां एनएचबी के दिशानिर्देशों के तहत काम करती थीं. इस पहल से एनबीएफसी क्षेत्र को भारी राहत मिलेगी. इसी तरह सरकार की विदेशी बाजारों से उधारी योजनाओं से घरेलू बाजार में ब्याज दरों में कटौती का माहौल बनेगा. बहरहाल, ब्याज दरों में नरमी की उम्मीद, ऋण की उपलब्ध बढ़ने और सालाना 400 करोड़ रुपए तक के कारोबार वाले उद्यमों पर कारपोरेट टैक्स का स्लैब 25 फीसद करने की पहल मध्यम से दीर्घावधि में आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने में मदद करेगी.

किसानों के जीवन में होगा बदलाव

राजीव सिंह कहते हैं कि इस बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान, सभी के लिए आवास, हर घर जल, सभी के लिए बिजली और सभी बस्तियों के लिए सड़क की योजनाओं के जरिए समावेशी विकास का मजबूत खाका तैयार किया गया है. इससे ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार आएगा. इसी तरह शून्य बजट खेती और किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में समावेशी विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. सरकार ने सालाना दो करोड़ से ज्यादा की आय वालों पर जो उपकर बढ़ाया है उसे अमीर और गरीब के बीच की खाई कम करने के प्रयासों के रूप में देखा जा सकता है. 

इलेक्ट्रिक वाहनों के कर्ज पर सालाना 1.5 लाख रुपए के ब्याज पर टैक्स में अतिरिक्त छूट की घोषणा स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने का संकेत है. सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर और डीजल व पेट्रोल पर शुल्क में वृद्धि से बिजली चालित वाहनों को बढ़ावा मिलेगा. लंबी अवधि में यह पहल स्वच्छ भारत की दिशा में उपयोगी साबित हो सकती है.

डिजिटल इंडिया को बढ़ावा

सरकार ने ऑनलाइन बड़े ट्रांजेक्शन पर एमडीआर शुल्क को खत्म करके और एक साल में बैंक से एक करोड़ रुपए से ज्यादा की नकद निकासी पर दो फीसद टीडीएस का प्रावधान करके डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने का उपाय किया है. आधार के जरिए आयकर रिटर्न भरने, रिटर्न फार्म में टीडीएस संबंधी सूचनाएं पहले से दर्ज होने और कर आकलन में अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगाने की पहल देश को डिजिटल इकोनामी की ओर ले जा सकती है. साथ ही जनधन-आधार-मोबाइल को आपस में जोड़ना एक बड़ी डिजिटल पहल है.

यदि कुल मिलाकर देखा जाए तो यह बजट भारत को अगले एक साल में तीन खरब डालर और पांच साल में पांच खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में कारगर कदम है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राजकोषीय स्थिति को नियंतण्रमें रखने, बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार बढ़ाने के लिए विदेशी निवेश बढ़ाने, बैंकिंग, एनबीएफसी व आवास क्षेत्र की अड़चनों को दूर करने और अर्थव्यवस्था को डिजिटल की ओर ले जाने जैसे बड़े मुद्दों पर विशेष जोर देना होगा. यदि सरकार इस मोर्चे पर सफल रहती है भारत मोदी 2.0 सरकार के कार्यकाल में वैश्विक पटल पर महाशक्ति के रूप में उभर सकता है.

(लेखक- राजीव सिंह, कार्वी ब्रोकिंग के सीईओ हैं)