बजट बनाने की प्रक्रिया कई महीने पहले शुरू हो जाती है, लेकिन सबसे खास होता है बजट पेश करने का दिन. इस दिन सबसे गरीब से लेकर सबसे अमीर की नजर वित्त मंत्री के भाषण और बजट दस्तावेज पर लगी होती है कि आखिर उनकी जेब पर क्या असर होने जा रहा है. ऐसे में बजट पेश किए जाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में जनना जरूरी है. 

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राष्ट्रपति की मंजूरी

वित्त मंत्री पीयूष गोयल 1 फरवरी को मोदी सरकार का आखिरी बजट पेश करने जा रहे हैं. बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होती है. इसके बाद बजट को संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में रखा जाता है. इसकी शुरुआत वित्त मंत्री के बजट भाषण से होती है. बजट भाषण के दो हिस्से दोते हैं. पहले हिस्से में वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था की स्थिति और सरकार के खर्च के बारे में बताते हैं, जबकि दूसरे हिस्से में कर प्रस्ताव होते हैं. मिडिल क्लास की धड़कन बढ़ाने वाले इनकम टैक्स प्रस्ताव इसी दूसरे भाग में होते हैं. अगर वित्त मंत्री इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने का ऐलान करते हैं, तो भाषण सुन रहे लोगों द्वारा जोरदार तालियों से उनका स्वागत होता है. इसका उल्टा होने पर मायूसी छा जाता है. इसके अलावा वित्त मंत्री इस दूसरे भाग में डायरेक्ट टैक्स की घोषणा भी करते थे, हालांकि अब जीएसटी लागू होने के बाद ये काम जीएसटी काउंसिल के पास चला गया है.

बजट दस्तावेज में क्या-क्या होता है शामिल?

1. वार्षिक वित्तीय विवरण - भारत सरकार की अनुमानित आय और व्यय का विवरण.

2. डिमांड फॉर ग्रांट - संचित निधि से किए जाने वाले खर्च का विवरण. 

3. एप्रोप्रिएशन बिल - लोकसभा से मंजूर की गई व्यय मांगों और संचित निधि से किए जाने वाले खर्च का विधेयक.

4. फाइनेंस बिल - प्रस्तावित नए करों और पुराने करों में संशोधन का विवरण.

5. वित्त विधेयक में प्रावधान की व्याख्या का ज्ञापन - बजट की व्याख्या. इसमें बजट प्रस्तावों को विस्तार से समझाया जाता है.

6. व्यय बजट भाग 1 - राजस्व और मूल देनदारी शामिल होती हैं, जो योजनागत और गैर-योजनागत अनुमानों के बारे में बताता है. 

7. व्यय बजट भाग 2 - व्यय के उद्देश्य को समझाने वाला दस्तावेज होता है.

8. प्राप्तियां बजट - राजस्व और पूंजीगत प्राप्तियों  तथा बाहरी सहायता का पूरा ब्यौरा होता है.