स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र को शुक्रवार को पेश होने जा रहे बजट से काफी उम्मीदें हैं. उद्योग का मानना है कि बजट में सरकार इस क्षेत्र पर अधिक ध्यान देगी और उसका बजट आवंटन बढ़ाएगी. स्टार्टअप को एंजल कर समाप्त होने की उम्मीद है तो हेलमेट को जीवन रक्षक वस्तु मानते हुये इस पर कर छूट की उम्मीद कर रहा है.

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इंडस हेल्थ प्लस के संयुक्त प्रबंध निदेशक अमोल नायकावाड़ी ने कहा कि 2025 तक देश में कुल बीमारियों में 75 प्रतिशत से अधिक बीमारियां गैर-संक्रामक श्रेणी की होंगी. उन्होंने कहा कि सुरक्षात्मक चिकित्सा के जरिये इन बीमारियों की समय से पहचान करना और निराकरण संभव है. उन्होंने सुझाव दिया कि धारा 80डी के तहत सुरक्षात्मक चिकित्सा जांच की छूट सीमा मौजूदा पांच हजार रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाना चाहिये. उन्होंने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा उद्योग के लिये बेहतर बुनियादी संरचना पर ध्यान देने की भी मांग की.

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के इलाज के लिए क्राउडफंडिंग के जरिए पैसे जुटाने वाली वेबसाइट इम्पैक्टगुरू डॉट कॉम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीयूष जैन ने बजट में स्वास्थ्य संबंधी विषयों को प्राथमिकता दिये जाने की मांग की. उन्होंने सरकारी नीतियों में प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल करने का भी सुझाव दिया.

रूटमैटिक के सीईओ सुरजीत दास ने देश में स्टार्टअप की शानदार वृद्धि के मद्देनजर स्टार्टअप तथा एसएमई के लिये एंजल कर समाप्त करने की मांग की. उन्होंने कहा कि इससे स्टार्टअप को वित्तपोषण संबंधी दिक्कतों में आसानी होगी.

हेलमेट बनाने वाली कंपनी स्टीलबर्ड के प्रबंध निदेशक राजीव कपूर ने हेलमेट को विभिन्न करों से छूट दिये जाने की वकालत करते हुए कहा कि चीन के सामानों से बचाव के लिये स्थानीय विनिर्माण पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हेलमेट को दवाओं की तरह ही जीवनरक्षक माना जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि इसे भी दवाओं की तरह जीएसटी के दायरे से छूट दी जानी चाहिये.

एविस इंडिया के सीईओ एवं एमडी सुनील गुप्ता ने पर्यटन उद्योग की संभावनाओं को देखते हुए देश में परिवहन की बुनियादी संरचनाओं को बेहतर बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि पिछले बजट में परिवहन की बुनियादी संरचनाओं पर खर्च 22 प्रतिशत बढ़ाकर 5.97 लाख करोड़ रुपये किया गया था. उन्होंने इस बजट में यह खर्च 30 प्रतिशत बढ़ाने की मांग की.