रीयल्टी कंपनियों के संगठन नारेडको ने केंद्र से आगामी बजट में रीयल एस्टेट क्षेत्र की रुकी परियोजनाओं के लिए 2,000 करोड़ रुपये का कोष बनाने की मांग की है. नारेडको ने इसके साथ ही कहा है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) संकट के मद्देनजर सरकार को आगामी बजट में क्षेत्र में नकदी की स्थिति सुधारने के कदम उठाने चाहिए. नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से बजट पूर्व ज्ञापन पर चर्चा करते हुए कहा कि हम माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पर मंत्री समूह के गठन का स्वागत करते हैं. यह समूह कर दरों को तर्कसंगत बनाने पर विचार करेगा. 

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जीएसटी को कम किया जाए

हीरानंदानी ने कहा कि सस्ते आवास क्षेत्र के लिए जीएसटी को इनपुट कर क्रेडिट के साथ पांच प्रतिशत पर लाया जाना चाहिए. अभी यह आठ प्रतिशत है. वहीं अन्य परियोजनाओं के लिए इसे इनपुट कर क्रेडिट के साथ 12 से आठ प्रतिशत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रीयल्टी कानून रेरा के क्रियान्वयन के बाद परियोजनाओं के विकास के लिए कोष की जरूरत तीन गुना हो गई है क्योंकि बिक्री से प्राप्त 70 प्रतिशत एस्क्रो खाते में रखनी होती है. 

एनबीएफसी से मिलती है बड़ी मदद

इस क्षेत्र की वित्त की इस तरह बढ़ी जरूरत को पूरा करने के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र से कर्ज की बड़ी सहायता मिलती है. हीरानंदानी ने कहा कि लेकिन बड़ी एनबीएफसी कंपनी आईएलएंडएफएस संकट के बाद एनबीएफसी क्षेत्र में नकदी का संकट है जिसकी वजह से हमें परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि एसोसिएशन ने वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर क्षेत्र की नकदी की स्थिति सुधारने का आग्रह किया है. 

फाइल फोटो

दरों को तर्कसंगत बनाना चाहिए

नारेडको के चेयरमैन राजीव तलवार ने कहा कि सरकार को रियल्टी क्षेत्र पर माल एवं सेवा कर की दरों को तर्कसंगत बनाना चाहिए ताकि निमाणाधीन फ्लैटों की बिक्री में तेजी आ सके. अध्यक्ष हीरानंदानी ने सरकार से यह भी अपील की कि वह कर्ज के संकट में घिरी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करे. इसके लिए उन्होंने 2000 रुपये का कोष स्थापित करने का सुझाव दिया ताकि अटकी परियोजनाओं का निर्माण आगे बढ़ाने में मदद की जा सके. 

(इनपुट एजेंसी से)