बजट 2019: गुजरात के किसानों को वित्त मंत्री से हैं बड़ी उम्मीदें, बिजली बिल में राहत की मांग
अगर किसान का उत्पाद भी अन्य कारोबारियों की तरह सही कीमत पर बिकने लग जाए तो किसानों के सामने कोई समस्या ही नहीं रहे.
1 फरवरी को वित्त मंत्री संसद के पटल पर अंतरिम बजट पेश करेंगे. बजट को लेकर आम आदमी से लेकर व्यापारी और किसान तक, सभी को बड़ी राहत की उम्मीदें हैं. खासकर किसानों की आंखों में बजट को लेकर कुछ और ही सपने तैर रहै हैं. आखिर किसान क्या चाहता है अपने वित्त मंत्री से, इसे जानने के लिए हमने गुजरात के किसानों से बात की और बजट को लेकर उनकी राय जानने की कोशिश की.
बजट पर किसानों के विचार जानने के लिए हमने गुजरात के साणंद का दौरा किया. वैसे तो साणंद को टाटा मोटर्स के लिए और औद्योगिक क्रांति के शहर से जाना जाता है लेकिन, साणंद और आसपास के सैकड़ों गांव आज भी खेती के ऊपर ही निर्भर हैं.
यहां किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या है, सिंचाई की. अच्छी फसल के लिए हर खेत को पर्याप्त मात्रा में पानी चाहिए. और यहां जमीन में पानी का स्तर बहुत नीचे हैं. सिंचाई के लिए पानी जमीन के तल से निकालने के लिए बड़े हॉर्स पावर की मोटर भी चाहिए.
ऐसे में 100 हॉर्सपावर की मोटर बोरवेल में लगाना आम बात हो गई है. किसानों की मांग है कि वे बिजली का बिल देने के लिए तैयार हैं लेकिन बड़े हॉर्स पावर की मोटर के कारण बिजली बिल बहुत ज्यादा आता है. बिजली बिल ज्यादा आता है और फसल के दाम कम मिलते हैं, ऐसे में किसानों को उल्टा नुकसान होता है. किसानों की मांग है कि सरकार को बजट में इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए और किसानों को मिलने वाली बिजली के दाम करने चाहिए.
एशिया की सबसे बड़ी मसाला मंडी ऊंझा कृषि उत्पाद मार्केट कमेटी (APMC) के चेयरमैन गौरांग पटेल ने बताया कि हमारी तप्तीश में सामने आया है कि किसान को अगर पूरी मात्रा में पानी मुहैया करवाया जाए तो उनमें उतनी ताकत होती है कि वे कड़ी मेहनत के बल पर खेत से सोना पैदा कर सकते हैं. इसलिए किसानों को सिंचाई के सही संसाधन मिलने चाहिए.
साणंद समेत आसपास के किसान की मांग है कि वे केमिकल वाले पानी इस्तेमाल कर रहे हैं. सरकार से गुजारिश है कि नर्मदा की कैनाल से पानी मिले. एक अन्य किसान सनाजी ठाकोर ने बताया कि सरकार को चाहिए कि किसानों के उत्पाद का सही दाम मिले. अगर किसान का उत्पाद भी अन्य कारोबारियों की तरह सही कीमत पर बिकने लग जाए तो किसानों के सामने कोई समस्या ही नहीं रहे और किसान को कर्ज लेने की जरूरत ही न पड़े.