वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण आज अपना पहला बजट पेश करेंगी. लेकिन वित्तमंत्री के सामने 3 कठिन चुनौती हैं. बजट पेश होने के बाद संसद में 1 दिन का कामकाज नहीं होगा. सूत्रों की मानें तो संसद आम बजट पर 8 जुलाई से चर्चा शुरू कर सकती है. जबकि अनुदान मांगों पर मतदान 11 से 17 जुलाई के बीच हो सकता है.

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1. मंदी से बचाना

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के सामने एक कठिन चुनौती है. उन्हें एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को एक बड़ी मंदी से बचानी है. मई में भारत दुनिया की सबसे तेजी के साथ वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था का अपना स्थान खो बैठा, यद्यपि सरकार का कहना है कि वह अभी भी सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था है.

2. GDP रेट को बढ़ाना

भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2019 की अंतिम तिमाही में फिसल कर 5.8 प्रतिशत हो गई, जो इसके पहले की तिमाही की 6.6 प्रतिशत से कम है. और साथ ही चीन की 6.4 प्रतिशत वृद्धि दर से भी कम है. खपत मांग और निवेश चक्र ऐसे समय में सरकार पर उच्च खर्च के लिए दबाव बना रहे हैं, जबकि राजस्व घट गया है. रोजगार सृजन नहीं हो रहा है और बेरोजगारी दर सर्वोच्च 6.1 प्रतिशत पर है.

3. राजस्‍व बढ़ाने का लक्ष्‍य

सीतारमण को 1 मंद होती अर्थव्यवस्था और बाजार की कठिन स्थिति में सरकार के बटुए को भरने के लिए ऐसे समय में एक कठिन विनिवेश लक्ष्य को पूरा करना है, जब कर राजस्व निश्चित रूप से कम आने वाला है. सरकार विनिवेश के जरिए 90,000 करोड़ रुपये जुटाने की कोशिश में है, जो पिछले साल के विनिवेश से प्राप्त 85,000 करोड़ रुपये से अधिक है.

पिछले साल की अधिकांश आमदनी हालांकि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) एक्चेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) से, पीएसयू के शेयरों से आई थी, जबकि सरकार चाहती थी कि वह अपने स्वामित्व वाली कंपनियों में हिस्सेदारी बेच कर आमदनी जुटाए.