अनुराग शाह. इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (Insolvency and Bankruptcy Code) कानून के अंतर्गत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT)  में निपटारे के लिए ज्यादा वक्त लगने पर अब बैंक नई प्रकिया तैयार कर रहे है. इसके तहत 1000 करोड़ रुपये तक के कर्ज के मामले में लीड बैंक के जरिए प्रपोजल तैयार किया जा रहा है. लीड बैंक के प्रपोजल की समीक्षा 6 सदस्यों की कमिटी करेगी और उसके आधार पर मामले का निपटारा किया जाएगा. बैंकों के समूह इंडियन बैंक एसोशिएशन के चीफ एग्जिक्यूटिव वीजी कन्नन के मुताबिक 500 करोड़ तक के लोन मामलों में प्रमोटर NCLT में नहीं जाना चाहते हैं और बैठकों की इस प्रकिया से मामलों का जल्द निपटारा किया जा सकता है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानकारों के मुताबिक फंसे हुए कर्ज वसूल करने के लिए NCLT में कुछ सफलता जरूर मिली है, लेकिन इसमें काफी वक्त लग रहा है. इसलिए अब NCLT के बाहर निपटारे के प्रयास शुरू किए गए हैं. कई ऐसे मामले हैं जहां कंपनियां निपटारे के लिए NCLT नहीं जाना चाहती हैं. ऐसा इसलिए है कि केस NCLT में जाने के बाद प्रमोटर का हस्तक्षेप खत्म हो जाता है. यानी उसके बाद यदि प्रमोटर बातचीत के जरिए मामले का निपटारा करना चाहे, तो भी ऐसा नहीं कर सकता.

इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के सेक्शन 29 के मुताबिक बाहरी व्यक्ति ही कंपनी खरीद सकता है. दूसरी ओर 500 से 1000 करोड़ रुपये तक के मामलों में थर्ड पार्टी ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाती हैं. ऐसे में ये मामले लंबे समय के लिए अटक जाते हैं. इसलिए इन मामलों में बैंक अपनी तरफ से ये प्रयास कर रहे हैं. 

देनकार बैंकों के समूह में एक लीड बैंक को चुना जाएगा. मामले के निपटारे की जिम्मेदारी लीड बैंक की होगी. उम्मीद है कि इसमें 1000 करोड़ रुपये तक के मामले आएंगे. लीड बैंक प्रोपोजल बनाएंगे और फॉरेंसिक ऑडिट करवाएंगे. इस प्रोपोजल की जांच के लिए अलग-अलग सेक्टर के लोगों को मिलाकर 6 सदस्यों की कमिटी बनाई गई है. इस कमेटी का नाम ओवरसी कमेटी होगा. ओवरसी कमेटी प्रपोजल को देखेगी. उम्मीद है कि इस तरह मामलों के निपटारे में तेजी आएगी.