Ban on Broken Rice Export: केंद्र सरकार ने 8 सितंबर को पूरी तरह से टूटे हुए चावलों पर बैन लगाने का फैसला लिया था. बता दें कि चावलों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया था. हालांकि सरकार ने अपने इस फैसले में थोड़ी सी ढील दी है और कुछ लोगों को ब्रोकन राइस (Broken Rice) के एक्सपोर्ट को मंजूरी दे दी है. सरकार की ओर से जारी आधिकारिक नोटिस के मुताबिक, सरकार ने 3.97 लाख टन के ब्रोकन राइस को एक्सपोर्ट करने की मंजूरी दे दी है. सरकार ने उन लोगों को एक्सपोर्ट की राहत दी है, जिन्होंने 8 सितंबर से पहले Broken Rice के एक्सपोर्ट पर कॉन्ट्रैक्ट लिए हुए थे. बता दें कि इन लोगों ने सरकार से गुहार लगाई थी, जिसके बाद सरकार ने ये फैसला लिया है. 

8 सितंबर से पहले कॉन्ट्रैक्ट पास किए लोगों को मिली राहत

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बता दें कि सरकार ने 8 सितंबर से पहले कॉन्ट्रैक्ट या ऑर्डर कर चुके ब्रोकन राइस का एक्सपोर्ट कर सकते हैं. सरकार की ओर से एक्सपोर्ट करने की डेडलाइन 31 मार्च 2023 है, यानी कि अगले साल के मार्च महीने तक एक्सोपर्ट कर सकते हैं. 

कहां इस्तेमाल होता है Broken Rice

  • शराब बनाने वाली इंडस्ट्री
  • एथेनॉल बनाने वाली इंडस्ट्री
  • पॉल्ट्री और एनिमल इंडस्ट्री

8 सितंबर को सरकार ने लगाया था बैन

केंद्र सरकार ने देश में चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए Broken Rice के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि आगे चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध का दायरा और बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा सरकार ने चावल के विभिन्न ग्रेड के निर्यात पर 20% ड्यूटी लगाने का भी फैसला लिया था. बता दें कि चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है. चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40% है.

सरकार ने उसना चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20% का निर्यात शुल्क लगा दिया है. चालू खरीफ सत्र (Kharif Season) में धान फसल का रकबा काफी घट गया है. ऐसे में घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है.