Fish Farming: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले की रहने वाली रेशमा देवी पेशे से दर्जी थीं. इसके अलावा वह अपने पति के साथ पारंपरिक खेती कर रही थी, जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं. इससे उन्हें हर महीने 5,000 रुपये की कमाई होती थी. इतनी कम कमाई में उन्हें घरेलू बिजनेस चलाना मुश्किल हो रहा था. कुछ करने की चाहत की मानसिकता और नई चुनौतियों का सामना करने की प्रवृत्ति ने रेशमा को मछली पालन (Fish Farming) शुरू करने को प्रेरित किया. मछली पालन शुरू करने का उनका फैसला सही साबित हुआ और अब वो लाखों में कमाई कर रही हैं.

मछली पालन शुरू करने से पहले ली ट्रेनिंग

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रेशमा के मुताबिक, मछली पालन शुरू करने से पहले उसने मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर एक्टिविटी के बारे सीखा और अलग-अलग टेक्नोलॉजी के बारे में ज्यादा जानने के लिए वह मछली पालन विभाग, हिमाचल प्रदेश से संपर्क किया. रेशमा के मुताबिक, उन्होंने मछली पकड़ने की प्रथाओं और तकनीकों के बारे में अधिक जानने के लिए मछली पालन विभाग द्वारा आयोजित कई ट्रेनिंग सेशन और वर्कशॉप में भाग लीं.

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8 लाख रुपये की कमाई

बायोफ्लॉक यूनिट 2021 में पूरी हो गई थी और उसने पहली मछली का उत्पादन लिया. वो सालाना 7 टन से ज्यादा मछली का उत्पादन करती हैं. इससे उनको करीब 8 लाख रुपये की हुई. कभी रेशमा का परिवार गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन अब मछली पालन के जरिए कमाई के साथ एक बेहतर जीवन मिला. वह सिलाई से जितना कमा रही थी, उससे कहीं अधिक. उसने अब पूरी लगन के साथ मछली पालन को कमाई के स्रोत के रूप में लिया है.

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