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कद्दू, नेनुआ और करेले की जैविक खेती ने बदली किसानों की तकदीर, बंपर पैदावार से हो रहा मोटा मुनाफा

पारंपरिक खेती विधि को छोड़ किसान अब जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही जैविक कॉरिडोर योजना के तहत किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) अपनाकर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. कृषि विभाग से मिले ट्रेनिंग और सहयोग से किसान समूह बनाकर सब्जियों की जैविक खेती कर रहे हैं.
Updated on: June 26, 2023, 01.50 PM IST
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वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर खेत में छिड़काव

किसान जैविक खेती करने के लिए वर्मी कम्पोस्ट तैयार करते हैं और फिर वही वर्मी कम्पोस्ट अपने खेतों में छिड़कते हैं, जिससे खेतों की गुणवत्ता बनी रहे. खेतों में फसलों के अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग करने से खेतों की उर्वरक शक्ति खत्म हो जाती है. जिससे फसलों की उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है. फसलों की अच्छी उत्पादन नहीं होने से किसानों की आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था. (Image- Pixabay)

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2 लाख रुपये तक कमाई

खेतों में अब जैविक विधि का प्रयोग करने से खेतों की उर्वरा शक्ति बनी रहती है ताथा फसलों की उत्पदान भी काफी अच्छी होती है. किसानों ने बताया कि इन विधि के प्रयोग से प्रति एकड़ 1.50 से 2 लाख रुपये की आय हो जाती है. 

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सब्सिडी दे रही है राज्य सरकार

अब किसान रासायनिक खाद के बदल वर्मी कम्पोस्ट बनाकर अपने खेतों में डालकर खेती की उर्वरात को बनाए रखा है. वहीं कृषि विभाग के द्वारा किसानों को पहले वर्ष 11,500 रुपये, दूसरे वर्ष 6,500 रुपये और तीसरे वर्ष 6,500 रुपये आर्थिक अनुदान दी जा रही है. जैविक विधि से कद्दू, नेनुआ, करेले की खेती की जा रही है. (Image- Pixabay)

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बनाना होता है प्लेटफॉर्म

वर्मी कम्पोस्ट जैविक खाद का ही एक रूप है. इसे बनाने के लिए 10 बाई 3 फीट आकार का एक प्लेटफॉर्म किसी पेड़ या छायादार जगह के नीचे बनाया जाता है. प्लेटफॉर्म को जमीन की सतह से ऊंचा रखा जाता है. प्लेटफॉर्म को डेढ़ फीट ऊंचा करके जालीनुमा बना दिया जाता है. पक्के प्लेटफॉर्म की सतह पर एक-डेढ़ इंच मोटी मिट्टी की परत डाल दी जाती है. मिट्टी की परत के बाद 6 इंच मोटी हरी और सूखी घास या फूस की परत चढ़ाई जाती है. गोबर की 6 इंच मोटी परत के बाद हल्की मिट्टी छिड़क दी जाती है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक क्यूबिक मीटर में 500 केंचुए छोड़े जाते हैं. (Image- Pixabay)

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2 महीने बाद जैविक खाद तैयार

वर्मी कम्पोस्ट की एक यूनिट में डेढ़ किलो केंचुए छोड़ जाते हैं. लगभग 2 महीने बाद जैविक खाद तैयार हो जाती है. एक यूनिट में लगभग 3 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार की जा सकती है. वर्मी कम्पोस्ट में नाइट्रोजन, फास्पोरस और पोटाश की मात्रा ज्यादा होती है. (Image- Pixabay)