Mustard seeds Production: एक करोड़ हेक्टेयर के रिकॉर्ड बुवाई रकबे के कारण वर्ष 2023-24 के सत्र में सरसों दाने का उत्पादन 1.2 करोड़ टन के सर्वकालिक उच्चस्तर को छू सकता है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने यह अनुमान लगाया है. सरसों एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जो रबी के मौसम (Rabi Season) में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उगाई जाती है और फरवरी-मार्च में काटी जाती है.

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एक बयान में, एसईए ने कहा कि सरसों मॉडल फार्म परियोजना (Mustard Model Farm Project) के माध्यम से क्षेत्र का विस्तार करने के ठोस प्रयासों, अनुकूल मौसम और कीमतों के साथ भारत में साल दर साल सरसों के उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है.

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सरसों दाने का उत्पादन, जो वर्ष 2020-21 में 86 लाख टन था, 2022-23 के सत्र में बढ़कर 88 लाख टन हो गया है. एसईए ने कहा, वर्ष 2023-24 सत्र में सरसों दाने का उत्पादन 1.2 करोड़ टन के सर्वकालिक उच्चस्तर को छूने की संभावना है. इसमें कहा गया है कि इससे खाद्य तेलों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

5 राज्यों में मॉडल फार्म की संख्या 3,500 से अधिक

एसईए के अनुसार, सरसों मॉडल फार्म परियोजना 2020-21 में केवल राजस्थान के पांच जिलों में 400 मॉडल फार्म के साथ शुरू की गई थी. अब मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सहित पांच राज्यों में मॉडल फार्म की संख्या 3,500 से अधिक है. भारत में, प्राथमिक स्रोतों के माध्यम से उत्पादित खाद्य तेल का लगभग एक-तिहाई हिस्सा रैपसीड और सरसों का है, जो इसे देश की प्रमुख खाद्य तिलहन फसल बनाता है.

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एसईए ने कहा कि खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए रैपसीड (Rapseed) और सरसों दाना (Mustard Seeds) सबसे आशाजनक तिलहन फसलों में से हैं. भारत खाद्य तेलों की कमी को पूरा करने के लिए उनके आयात पर निर्भर है. तेल वर्ष 2022-23 (नवंबर-अक्टूबर) में खाद्य तेलों का कुल आयात एक करोड़ 64.7 लाख टन रहा था.