Mustard Disease Control: मौसम में बदलाव से सरसों की फसल में रोग लगने लगते हैं. अगर सरसों में लगने वाले रोगों को लेकर सतर्क नहीं रहेंगे तो खेत की अच्छी तैयारी और अच्छा बीज होने के बावजूद इसकी फसल को नुकसान हो सकता है, जिससे किसानों (Farmers) का मुनाफा घट सकता है. रोगों से सरसों की फसल (Mustard Crop) को बचाने के लिए हरियाणा सरकार के कृषि विभाग ने किसानों के लिए जरूरी सलाह दी है. 

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 हरियाणा सरकार कृषि विभाग ने किसानों को सरसों की फसल में लगने वाले सफेद रतुआ और अल्टरनेरिया ब्लाइट रोग की रोकथाम के उपाय बताए हैं. कृषि विभाग के मुताबिक, किसान भाई अपने खेतों में निगरानी रखें और सफ़ेद रतुआ व अल्टरनेरिया ब्लाइट बीमारी के लक्षण नजर आते ही 600-800 ग्राम मैंकोजेब (डाइथेन एम-45) को 250 से 300 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ की दर से 15 दिन के अंतर पर 2-3 बार छिड़काव करें.

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चेपा का प्रकोप सरसों के खेत की परिधि में शुरू होता है. जैसे ही इसका प्रकोप खेत में दिके, प्रभावित पौधों को हटाकर ठीक से नष्ट करें. सरसों में इसकी रोकथाम के डायमेथोएट 30EC @ 250-400 मिली के साथ 250-400 लीटर पानी में प्रति एकड़ का छिड़काव करें. जब एफिड का प्रकोप आर्थिक दहलीज पर पहुंच जाए (10 पौधों का 13 एफिड/ 10 सेमी टर्मिनल भाग).

अन्य सलाह

  • हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग द्वारा समय पर जारी मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर ही फफूंदीनाशक का प्रयोग करें.
  • अगर मौसम अनुकूल हो तो चेपे (अल/माहू) का आक्रमण हो सकता है. 
  • 10 फीसदी पुष्पित पौधों पर औसतन 13 कीट प्रति पौधा होने पर- 250 से 400 मिली मिथाईल डेमेरान (मेरा सिस्टाक्स) 25 ई.सी या डाईमेथोएट (रोगोर) 30 ई.सी को 250-400 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ फसल पर स्प्रे करें.
  • मधुमक्खियों को बचाने के लिए स्प्रे दोपहर 3 बजे के बाद ही करें.
  • अगर जरूरत हो तो 15 दिन बाद फिर दोहराएं.
  • अगर सफेद रतुआ व डाउनी मिल्ड्यू के लक्षण फसल पर दिखाई दें तो रोकथाम के लिए 600 ग्राम मैन्कोजेब (डाईथेन या इण्डोफिल-एम-45) का 250-300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.

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यहां करें संपर्क

किसान भाई अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 पर संपर्क कर सकते हैं. या फिर हरियणा कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट www.agriharyana.gov.in पर विजिट कर सकते हैं.