Hydrogel: कृषि क्षेत्र को तकनीक के साथ जोड़ने के लिए सरकार कई कदम उठा रहा है.  इससे एग्री सेक्टर (Agri Sector) में बदलाव आ रहा है. नई तकनीकों के इस्तेमाल से किसानों की मेहनत और लागत कम लगती है और उनका मुनाफा बढ़ता है.  सिंचाई की ऐसी ही तकनीक है हाइड्रोजेल (Hydrogel). जब खेतों में हाइड्रोजेल (Hydrogel) का इस्तेमाल किया जाता है तो हाइड्रोजेल के दाने सिंचाई और बारिश के दौरान पानी सोख लेते हैं. जब पानी कमी की वजह से खेतों में नमी कम होने लगती है, तब हाइड्रोजेल से पानी रिस कर खेत में नमी को बनाए रखता है. एक एकड़ खेत के लिए महज एक से डेढ़ किलोग्राम हाइड्रोजेल के ग्रेन्यूल की जरूरत होती है.

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हाइड्रोजेल का इस्तेमाल करें, मिट्टी की नमी को बनाएं रखें. हाइड्रोजेल (Hydrogel) में अम्लीयता और क्षारियता का अनुपात बराबर होता है जिससे मिट्टी में यह उदासीन होता है और कोई हानिकारक प्रतिक्रिया नहीं करता है.

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हाइड्रोजेल (Hydrogel) के फायदे

  • मिट्टी में घनत्व और जल धारण क्षणता को बेहतर बनाए
  • शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्र के लिए उपयोगी
  • मृदा अपरदन को रोके
  • जैविक गतिविधियों को बढ़ावा

खाद के दाने के साइज का हाइड्रोजेल (Hydrogel) अपने साइज का चार सौ गुना पानी अपने अंदर सोखता है हाइड्रोजेल 25 दिनों तक पौधे को पानी नहीं मिलने पर भी पानी की सप्लाई करता है. हाइड्रोजेल के प्रयोग से फसल की सिंचाई में 60% पानी का बचत किया जा सकता है.

जहां पानी की कमी है या सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं, वैसे जगह के लिए हाइड्रोजेल का इस्तेमाल बड़ी कारगर साबित हो सकता है. हाइड्रोजल जड़ों के पास मौजूद रहते हैं और धीरे-धीरे आराम से जड़ों को पानी देते रहते हैं. इसके इस्तेमाल से किसान की लागत में भी कमी आएगी.