Edible Oil: देश में खाद्य तेलों की आपूर्ति कम रहने के बीच त्योहारी मांग (Festive Demand) बढ़ने के कारण देश के तेल-तिलहन बाजारों में सभी तेल-तिलहन कीमतों में मजबूती देखने को मिली. आयातित तेलों की कम आपूर्ति की स्थिति के बीच सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चे पामतेल (CPO) और पामोलीन और बिनौला तेल कीमतें मजबूती दर्शाती बंद हुईं.

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बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि कम आपूर्ति की वजह पाम और पामोलीन तेल का सूरजमुखी (Sunflower) से महंगा होना है. इस महंगे दाम के कारण पाम, पामोलीन का आयात प्रभावित हुआ है जिस तेल की पूरे तेल आयात में लगभग 65 फीसदी की हिस्सेदारी होती है और कमजोर आयवर्ग के लोग इस तेल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.

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पाम, पामोलीन जब सूरजमुखी से सस्ता होगा तभी इसका आयात बढ़ेगा और आपूर्ति लाईन दुरुस्त होगी. लगभग 65 फीसदी पाम, पामोलीन की कमी को किसी साफ्ट आयल से पूरा करना लगभग असंभव है. पाम, पामोलीन के दाम महंगे होने से सॉफ्ट आयल कीमतों पर भी दवाब बढ़ गया है. इससे सभी तेल तिलहन के दाम मजबूत होते जा रहे हैं.

सरसों की आवक घटी

उन्होंने कहा कि शनिवार को सरसों की आवक घटकर 6.50 लाख बोरी रह गई. इस सरसों की खरीद के मामले में हरियाणा सरकार का कदम सराहनीय कहा जा सकता है. छिटपुट आवक शुरू होने के बीच वहां प्रदेश सरकार ने 5,650 रुपये प्रति क्विन्टल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानो की सरसों खरीद (Mustard) शुरू कर दी है. इससे देशी तेल मिलें भी चल रही हैं और पेराई के बाद सरसों खाद्य तेल का वितरण राशन की दुकानों से करने से उपभोक्ताओं को भी सस्ते दाम पर सरसों तेल उपलब्ध होगा.

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