दाल की कीमतों पर काबू करने के लिए जमाखोरी के खिलाफ एक्शन लेने के बाद अब केंद्र का फोकस चने की दाल पर है. केंद्र की दाल पर राज्यों के साथ बड़ी बैठक होने वाली है. तूर और उड़द दाल पर स्टॉक लिमिट के बाद चने पर फोकस कर रही है. सरकार का प्लान विकल्प के तौर पर चने की दाल का प्रमोशन करना है. इसे लेकर केंद्र की राज्यों के साथ बुधवार को समीक्षा बैठक होगी. बैठक में स्टॉक लिमिट के बाद जमाखोरी पर कार्रवाई का अपडेट भी लिया जाएगा. साथ ही राज्यों में स्टॉक लिमिट के बाद कीमतों पर भी चर्चा होगी.

तूर, उड़द दाल पर क्या लिया गया फैसला?

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकार ने पिछले हफ्ते सरकार ने जमाखोरी रोकने और मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, आयातकों और मिल मालिकों के लिए अक्टूबर तक अरहर और उड़द दाल की स्टॉक लिमिट तय की थी. केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने इस संबंध में तत्काल प्रभाव से एक आदेश जारी किया था. मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अरहर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य दो जून को 19 प्रतिशत बढ़कर 122.68 प्रति किलोग्राम हो गया, जो एक साल पहले 103.25 रुपये प्रति किलोग्राम था। इसी तरह, उड़द दाल का औसत खुदरा मूल्य 5.26 प्रतिशत वृद्धि के साथ 110.58 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया, जो एक वर्ष पहले 105.05 रुपये प्रति किलोग्राम था. इस आदेश के तहत, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए तुअर और उड़द भंडारण सीमा 31 अक्टूबर, 2023 तक तय कर दी गई है.

आदेश के तहत, थोक विक्रेताओं के लिए तुअर और उड़द का 200-200 टन, खुदरा विक्रेताओं और खुदरा दुकानों के लिए पांच-पांच टन और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो में 200 टन की भंडारण सीमा निर्धारित की गई है. आधिकारिक बयान के अनुसार, मिल मालिकों के लिए भंडारण सीमा पिछले तीन महीनों का उत्पादन या सालाना क्षमता का 25 प्रतिशत (जो भी ज्यादा हो) रहेगी। आयातकों को सीमा शुल्क की मंजूरी मिलने के 30 दिन से अधिक भंडारण करने की अनुमति नहीं है. 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें