जम्मू कश्मीर में पहली बार लीथियम का भंडार पाया गया है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसकी पुष्टि की है. खनन मंत्रालय को रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में करीब 59 लाख टन का लीथियम का भंडार मिला है. गुरुवार को हुई 62वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की बैठक के दौरान 15 अन्य संसाधनों वाली भूवैज्ञानिक रिपोर्ट और 35 भूवैज्ञानिक ज्ञापनों के साथ यह रिपोर्ट संबंधित राज्य सरकारों को सौंप दी गई है. 

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पहली बार मिला है भंडार

खनन सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा कि, 'लीथियम एक अलौह धातु है. इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल बैटरीज में होता है. पहली बार लीथियम का भंडार मिला है वह भी जम्मू कश्मीर में. मोबाइल फोन, सोलर पैनल समेत कई उपकरणों में लीथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे अहम खनिज का इस्तेमाल होता है.' इससे पहले खनन मंत्रालय ने कहा था कि टेकनोलॉजी में इस्तेमाल होने वाले मिनरल की सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. इसमें ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना से लीथियम मंगाया जा रहा है.   

पांच ब्लॉक सोने से संबंधित

62वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की बैठक के दौरान 15 अन्य संसाधनों वाली भूवैज्ञानिक की रिपोर्ट  51 खनिज ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक सोने से संबंधित हैं. वहीं, दूसरे ब्लॉक पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि वस्तुओं से संबंधित हैं. ये ब्लॉक 11 राज्यों जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना में फैले हुए हैं. यह ब्लॉक भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा 2018-19 से अब तक के फील्ड सीजन में किए गए कार्य के आधार पर तैयार किए गए थे.

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भारत आयात करता है लीथियम

भारत अभी लीथियम, निकल और कोबाल्ट समेत कई खनिज पदार्थों को आयात करता है.  62वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की बैठक में खनन सचिव ने कहा, 'आत्मनिर्भर बनने के लिए सबसे जरूरी है कि हम खनिज पदार्थों को ढूंढे और उसे देश में ही प्रोसेस करें. यदि सोने का आयात घटता है तो हम सही मायनों में आत्मनिर्भर बन जाएंगे.'