भारत ही नहीं दुनिया के बहुत से लोगों की सुबह चाय की चुस्कियों के साथ होती है. इस पर भारत की चाय का डंका दुनिया में बज रहा है. लेकिन बावजूद इसके देश के चाय उद्योग को वह बूस्ट नहीं मिल रहा जो इसे मिलना चाहिए. इसकी वजह है चाय का न्यूनतम मानक मूल्य तय नहीं होना. न्यूनतम मानक मूल्य तय नहीं होने से बाजार में चाय की बिक्री के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा है. टी-बोर्ड ने देश में चाय के उत्पादन और खपत को देखते हुए चाय की कीमतें बढ़ने के संकेत दिए हैं.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाला चाय बोर्ड विभिन्न ग्रेड की चाय की पत्तियों के लिए न्यूनतम मानक मूल्य तय करने की व्यवस्था पर विचार कर रहा है. चाय उद्योग काफी समय से यह मांग उठाता रहा है. भारतीय चाय संघ (आईटीए) का कहना है कि सरकार को विभिन्न श्रेणियों की चाय की पत्तियों के लिए न्यूनतम मानक मूल्य निर्धारित करने चाहिए. इससे क्षेत्र की वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा और निर्यात बढ़ाया जा सकेगा. भारत की चाय की विदेशों के साथ-साथ देश में भी काफी ज्यादा खपत है. देश में चाय की घरेलू खपत हर साल 2.2 फीसदी की दर से बढ़ रही है.

चाय बोर्ड और आईटीए इस मुद्दे पर विचार विमर्श कर रहे हैं. यह मांग उचित है. बेंचमार्क कीमत चाय के उत्पादन और पिछले महीनों की नीलामी की दर से निकाली जाती है. उद्योग के प्रस्ताव के अनुसार, चाय के विभिन्न ग्रेड का दाम बोर्ड द्वारा तय कीमत से नीचे नहीं होना चाहिए. 

छोटे उत्पादक उठा रहे हैं लंबे समय से मांग

चाय का एमएसपी तय करने के लिए चाय के छोटे उत्पादक काफी लंबे समय से मांग उठाते आ रहे हैं. चाय के इन छोटे उत्पादकों को बड़े उत्पादकों के भरोसे रहना पड़ता है. स्मॉल टी ग्रोअर (STG) का देश के कुल चाय उत्पादन में 35 फीसदी योगदान देते हैं. इन्हें चाय की प्रोसेसिंग के लिए बड़े उत्पादकों पर निर्भर रहना पड़ता है.

भारतीय लघु चाय उत्पादक संघ (CISTA) के अध्यक्ष बिजॉय गोपाल चक्रवर्ती ने बताया कि देश में लगभग 2.5 लाख छोटे चाय उत्पादक हैं. चाय उत्पादन की इनकी लागत 15-18 रुपये प्रति किलोग्राम आती है, जबकि बड़े उत्पादक इनसे केवल 7-14 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चाय खरीदते हैं.

कीमतें बढ़ने की उम्मीद

चाय बोर्ड के चाय प्रोत्साहन विभाग के निदेशक एस. सौंदराराजन ने कहा कि वर्ष 2019 में भी चाय का उत्पादन पिछले साल जितना ही रहने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि बुनियादी स्थिति ठीक होने से इस साल कीमतों में मजबूती आने की संभावना है. सौंदराराजन ने कहा कि चाय की कीमतों में बढ़ोतरी होनी चाहिए, क्योंकि हमने दिसंबर से फरवरी के दौरान कई राज्यों में चाय पत्तों की तुड़़ाई बंद कर दी थी, जिसके चलते 2.5 करोड़ किग्रा उत्पादन में कमी आई है.

135 करोड़ किग्रा चाय का उत्पादन

भारत ने 2018 में 5,132.37 करोड़ रुपये की चाय का निर्यात किया था. बीते साल देश में 135 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन हुआ था. इससे पिछले साल यानी 2017 में यह आंकड़ा 4,987.59 करोड़ रुपये रहा था. भारत के प्रमुख निर्यात बाजारों में ईरान, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान और सीआईएस के देश शामिल हैं. 

भारत में चाय की 7 प्रमुख किस्में हैं, जिनमें दार्जलिंग चाय, आसाम चाय, नीलगिरी चाय, कांगड़ा चाय, मुन्नार चाय, डूआर चाय और मसाला चाय.