Online दवाई नहीं मंगवा पाएंगे? बिना डॉक्टर के Prescription के दवा की बिक्री पर सरकार ले सकती है एक्शन
Centre may shut online pharmacies: केंद्र सरकार का मानना है कि ई-फार्मेसी की वजह से डेटा प्राइवेसी का खतरा मंडरा रहा है. क्योंकि ई-फार्मेसी कस्टमर्स से जो प्रिसक्रिप्शंस लेती है, उससे डेटा लीक का डर रहता है. आइए जानते हैं पूरा मामला.
Centre may shut online pharmacies: क्या आप ऑनलाइन दावईयां खरीदते वक्त प्रिसक्रिप्शन दिखाते हैं? अगर नहीं, तो ऑनलाइन दवाईयां खरीदने पर जल्द ही ब्रेक लग सकता है. ई-फार्मेसी पर केंद्र सरकार प्रतिबंध लगा सकती है. दरअसल केंद्र सरकार का मानना है कि ई-फार्मेसी की वजह से डेटा प्राइवेसी का खतरा मंडरा रहा है. क्योंकि ई-फार्मेसी कस्टमर्स से जो प्रिसक्रिप्शंस लेती है, उससे डेटा लीक का डर रहता है. आइए जानते हैं पूरा मामला.
ई-फार्मेसी ऑपरेटर्स पर क्यों लग रही है रोक
जी हां, जो Patients की डीटेल्स Prescriptions पर मौजूद होती है, उससे डेटा लीक हो सकता है. पिछले महीने 20 E-Pharmacy को सरकार की तरफ से नोटिस दिया गया था, जो ई-फार्मेसी के रूल्स-रेगुलेशंस को फॉलो नहीं कर रही थी. इनमें Tata 1 MG, Apollo Pharmacy, Flipkart Health+, Amazon Pharmacy, MedPlus, Reliance Netmeds और pharmeasy. हालांकि इस रिपोर्ट पर कोई कन्फर्मेंशन नहीं आई है. लेकिन अगर आप ऑनलाइन Medicines खरीदते हैं, तो ये आपके जरूरी अपडेट हो सकता है.
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दरअसल समूह का मानना है कि इससे डेटा प्राइवेसी, बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाओं की बिक्री और मनमानी कीमत को बढ़ावा मिल रहा है. यह बहुत जोखिम भरा है और इसकी वजह से खुदरा बाजार कमजोर पड़ रहा है. ई-फार्मेसी दवाओं से संबंधित डाटा एकत्र कर सकती है जो रोगी सुरक्षा से जुड़े जोखिम को बढ़ाएगी.
ई-फार्मेसी की क्या है चुनौतियां
बता दें, सरकार ने स्टेकहोल्डर्स से एक फीडबैक मांगा है, कमेटी बनाई है, जहां पर वो रेगुलेशंस को इम्प्रोवाइज कर सकते हैं. जैसे की डेटा प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए, जो Prescriptions कस्टमर्स के अपलोड होते हैं, वो लीक न हो.
ई-फार्मेसी में तेज ग्रोथ
फाइनेंशियिल ईयर 2021-2025 के बीत 42% सालाना ग्रोथ की उम्मीद. फाइनेंशियिल ईयर 2025 तक मार्केट साइज बढ़कर ₹205 अरब हो सकता है.