स्पेक्ट्रम नीलामी के छठे दौर में 3.92 लाख करोड़ रुपये की Radio waves के लिये बोलियां लगाने की प्रक्रिया एक मार्च से शुरू होंगी. दूरसंचार विभाग द्वारा जारी नोटिस में यह जानकारी दी गयी है. इसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा थ. यह Auction चार साल बाद होने जा रही है और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा बेस प्राइस की गणना और सुझाव दिये जाने के दो साल बाद यह होगा. दूरसंचार विभाग (Telecom Department) ने ट्राई से मिले सुझाव की तुलना में कुछ सर्किलों में चुनिंदा स्पेक्ट्रम बैंड के बेस रेट में बदलाव किया है.

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Pre-bid conference के लिये 12 जनवरी का समय तय किया है. नोटिस पर किसी भी मुद्दे को लेकर 28 जनवरी तक स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है. नीलामी में भाग लेने के लिये टेलिकॉम ऑपरेटर को पांच फरवरी तक आवेदन करना होगा. नोटिस के अनुसार, बोली लगाने वालों की अंतिम सूची की घोषणा 24 फरवरी 2021 को होगी और नीलामी प्रक्रिया एक मार्च से शुरू होगी.

मंत्रिमंडल ने 17 दिसंबर को दी थी मंजूरी (Cabinet approved on 17 December)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 17 दिसंबर 2020 को सात फ्रीक्वेंसी के बैंड में 3.92 लाख करोड़ रुपये के 2,251.25 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी दी थी. इस दौर में 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज में ट्राई द्वारा सुझाये गये आधार मूल्य पर नीलामी को मंजूरी दी गई. सरकार ने हालांकि, 3300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड को इस बार की नीलामी से बाहर रखा है. उद्योग जगत इस फ्रीक्वेंसी को 5जी सेवाओं के लिये Suitable बताता रहा है. यह बैंड भी ट्राई के सुझावों में शामिल थे.

सभी 22 दूरसंचार सर्किलों के लिये उपलब्ध (Available to all 22 telecom circles) 

जो बिडर 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के विकल्प को चुनेंगे, उन्हें प्रीमियम श्रेणी के इस स्पेक्ट्रम बैंड को पूरे देश के लिये खरीदने के लिये 32,905 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड को सभी 22 दूरसंचार सर्किलों के लिये उपलब्ध कराया है. इनके अलावा 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड 21 सर्किलों, 900 व 2100 मेगाहर्ट्ज 19-19 सर्किलों और 2500 मेगाहर्ट्ज 12 सर्किलों के लिये उपलब्ध हैं.

एकमुश्त भुगतान करने का विकल्प चुनने वाले बिडर को रिजल्ट जारी होने के 10 दिन में कुल भुगतान करना होगा. वहीं देर से भुगतान का विकल्प चुनने वालों को 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज की स्थिति में कुल भुगतान का 50 प्रतिशत और 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज और 900 मेगाहर्ट्ज की स्थिति में कुल भुगतान का 25 प्रतिशत 10 दिन के भीतर जमा करना होगा.

तीन प्रतिशत AGR का भी करना होगा भुगतान (3 percent AGR will also have to be paid)

बिडर को Bidder amount के अलावा तीन प्रतिशत Adjusted Gross Revenue-AGR का भुगतान भी करना होगा, जिसमें वायरलाइन शुल्क शामिल नहीं होगा. दूरसंचार उद्योग के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने कहा कि स्पेक्ट्रम से दूरसंचार कंपनियों को डेटा के बढ़े इस्तेमाल की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. हालांकि, यदि Radio wave के बेस प्राइस कम होते तो कंपनियों को नेटवर्क में अतिरिक्त निवेश का प्रोत्साहन मिलता.

Market analyst का मानना है कि इस नीलामी में 30 हजार से 50 हजार करोड़ रुपये के बीच की बोलियां (Bid) प्राप्त होने वाली हैं. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि कंपनियां नये स्पेक्ट्रम में दिलचस्पी लेने के बजाय पुराने स्पेक्ट्रम का Renewal कराने पर ही ध्यान देंगी. वोडाफोन-आइडिया कुछ सर्किलों में अपने मौजूदा स्पेक्ट्रम के नवीनीकरण के लिये भी बोली लगाने से दूर रह सकती हैं. 

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