SEBI ने सरकारी लिस्टेड कंपनियों को राहत दी है. डायरेक्टर्स की नियुक्ति के बाद तीन महीने के भीतर उस नियुक्ति पर शेयरहोल्डर्स की मंजूरी की शर्त में राहत मिली है. सेबी ने सरकारी कंपनियों की मांग और डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज की मांग पर ये शर्त हटाने का फैसला किया है. सेबी ने ये नियम बीते साल एक जनवरी से लागू किया था. ताकि कंपनियां डायरेक्टर्स की नियुक्ति पर कंपनी के मालिक यानि शेयरहोल्डर्स की भी मंजूरी लें. लेकिन कंपनियां अक्सर AGM यानि सालाना बैठक का इंतजार करती थीं.  

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क्या थी कंपनियों की परेशानी 

सरकारी कंपनियों ने सेबी को ये दिक्कत बताई कि बहुत बार डायरेक्टर्स की नियुक्ति उनके हाथ में न होकर सरकार के पास होती है. सरकार की प्रक्रिया कई बार लंबी चलती है. या केवल एक कंपनी को देखकर नहीं होती. कमेटी, विभाग, मंत्रालय और फिर कई बार कैबिनेट कमेटी ऑपन अप्वाइंटमेंट तक से मंजूरी आती है. ऐसे में हर बार नियुक्ति के बाद शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के लिए कंपनी की एक्स्ट्रा आर्डिनरी जनरल मीटिंग बुला पाना आसान नहीं है. एक्स्ट्रा आर्डिनरी जनरल मीटिंग और पोस्टल बैलट पर पैसा और समय दोनों ही ज़ाया होता है. और इससे काफी कामकाजी दिक्कतें भी होती हैं. डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइज ने भी इसकी सिफारिश की थी.  

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 क्या है नियम

दरअसल कंपनीज़ एक्ट के तहत कंपनियों को डायरेक्टर्स की नियुक्ति के बाद अगली AGM में मंजूरी लेना जरूरी है. लेकिन कई बार नियुक्ति और AGM के बीच में काफी अंतर होता है. ऐसे में डायरेक्टर्स की नियुक्ति शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के बिना ही चलती रहती थी. सेबी ने इसे ठीक करने के लिए बीते साल, अगली AGM या 3 महीने दोनों में से जो जल्दी हो उसी में शेयरहोल्डर्स की मंजूरी का नियम लाया था. सेबी इसके लिए LODR के रेगुलेशन 17 (1) C में बदलाव करेगी.