Reliance Investment: विभिन्न कारोबार से जुड़ी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पिछले दस साल में 125 अरब डॉलर (करीब 10 लाख करोड़ रुपए) से अधिक का पूंजीगत निवेश किया है. कंपनी ने इस निवेश के जरिये हाइड्रोकार्बन और दूरसंचार कारोबार में बड़े पैमाने पर विस्तार किया है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. इसमें अनुमान जताया गया है कि अगले तीन वर्षों में समूह का निवेश अपेक्षाकृत कम पूंजीगत व्यय वाले रीटेल और और न्यू एनर्जी बिजनेस में होगा. रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस लंबे और गहन पूंजीगत व्यय चक्र (हाइड्रोकार्बन और दूरसंचार) से बाहर आ रही है.

O2C में 30 बिलियन और टेलिकॉम में 60 बिलियन डॉलर का निवेश

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वित्तीय सेवा कंपनी गोल्डमैन सैक्श की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कंपनी ने O2C (रिफाइनरी और पेट्रो रसायन परिसर) कारोबार के पैमाना, एकीकरण और लागत प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए वित्त वर्ष 2013-18 के बीच लगभग 30 अरब डॉलर का निवेश किया है. साथ ही दूरसंचार क्षेत्र में उच्च वृद्धि के लिए 4जी/5जी क्षमताओं में वित्त वर्ष 2013-24 के बीच अनुमानित लगभग 60 अरब डॉलर का निवेश किया है.’’ पूरे देश में 5जी क्रियान्वित होने की संभावना है और इसके साथ दूरसंचार शुल्क दरों में वृद्धि भी हो सकती है. इससे उम्मीद है कि दूरसंचार कारोबार कंपनी के O2C के साथ नकदी प्रवाह का प्रमुख जरिया बनेगा.

रीटेल और एनर्जी बिजनेस में अब ज्यादा कैपेक्स

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना ​​​​है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज अगले तीन साल में जिन व्यवसायों (खुदरा और नई ऊर्जा की खोज और उत्पादन) में अधिक निवेश कर रहा है, वे अपेक्षाकृत कम पूंजीगत व्यय के साथ अधिक रिटर्न वाले हैं. साथ ही परियोजनाओं के पूरा होने में भी समय कम लगेगा.’’ एक रिफाइनरी या पेट्रो रसायन संयंत्र को शुरू होने में आमतौर पर कम-से-कम पांच साल लगते हैं जबकि एक सौर संयंत्र के लिए लगभग दो साल और एक खुदरा स्टोर को तैयार करने में 6-12 महीने का समय लगता है.

टेलिकॉम निवेश पर अब कैशफ्लो हेल्दी रहने की उम्मीद

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘आरआईएल ने पिछले 10साल में पूंजीगत व्यय में 125 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है. ज्यादातर निवेश हाइड्रोकार्बन और दूरसंचार क्षेत्र में हुए. ये क्षेत्र अधिक पूंजी गहन क्षेत्र हैं और परियोजनाओं को चालू होने में भी लंबा समय लगता है.’’रिपोर्ट के अनुसार जबकि हाइड्रोकार्बन और दूरसंचार 4जी के लिए पूंजीगत व्यय चक्र वित्त वर्ष 2017-19 के दौरान पूरा हुआ. 5जी में तेजी से पूंजीगत व्यय हुआ है. यह व्यय भी वित्त वर्ष 2023-24 में पूरा हो जाने की उम्मीद है.’’