आम्रपाली मामले में बीते सप्ताह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नामी वैश्विक व घरेलू कॉरपोरेट कंपनियों समेत कई मामले में शामिल लोगों के खिलाफ तीखी टिप्पणी की. शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रमुख कंपनियों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) ने आम्रपाली समूह की मिलीभगत से फंड की हेराफेरी की. 

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रियल्टी फर्म की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट का जिक्र करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी ने वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान करीब 74 करोड़ रुपये की राशि आम्रपाली सैफायर डेवलपर्स प्राइवेंट लिमिटेड द्वारा जारी ऋणपत्र खाते में दिया. ऋणपत्र पर सालाना 17 फीसदी की ब्याज दर तय की गई थी. 

फॉरेंसिक ऑडिट में 16 दिसंबर 2010 की तारीख को किए गए निवेशक सह अंशधारक करार में ग्रॉस नॉन-कंप्लायंस पाया गया. निदेशकों की नियुक्ति नहीं की गई थी, निवेशक के संयुक्त हस्ताक्ष से बैंक खाते का संचालन नहीं किया गया था.

निवेश सह अंशधारक करार और 3,420 रुपये प्रति वर्ग फुट की ब्रिकी योग्य एरिया से कम के फ्लैट की बिक्री के अनुसार, फंड का इस्तेमाल नहीं किया गया था. आदेश में कहा गया कि करार के कई अन्य बातों का न तो अनुपालन किया गया था और न ही उनका उपयोग निवेशक द्वारा सुनिश्चित किया गया था.