Plastic Export: देश का प्लास्टिक के सामानों का एक्सपोर्ट इस कारोबारी साल में 20 से 25 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है. यह 9.5 अरब डॉलर से बढ़कर 12 अरब डॉलर पहुंच सकता है. Plastics Export Promotion Council of India (PLEXCONCIL) के चेयरमैन अरविंद गोयनका ने कहा है कि अनुकूल बाजार परिस्थितियों और अमेरिका और यूरोप जैसे महत्वपूर्ण डेस्टिनेशन से डिमांड में सुधार की वजह से प्लास्टिक एक्सपोर्ट में उल्लेखनीय इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि एक्सपोटर्स  के पास इस समय अच्छे आर्डर हैं. लेकिन कुछ क्षेत्रों में सरकार के समर्थन की जरूरत है, क्योंकि यह क्षेत्र रोजगार सृजन (Employment generation) की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है.

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एक्सपोर्ट 20 से 25 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि ‘‘2021-22 में हम निर्यात में 20 से 25 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. यह 2020-21 के 9.5 अरब डॉलर से बढ़कर 12 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा. चालू कारोबारी साल (Current financial year) के अप्रैल-मई की अवधि में हमने एक अरब डॉलर मूल्य के सामान का निर्यात किया है. सरकार के समर्थन से हम निर्यात को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा सकेंगे.’’

कई चुनौतियों का करना पड़ रहा सामना

अरविंद गोयनका ने कहा कि यह क्षेत्र कई चुनौतियों मसलन कच्चे माल (Raw material) की कमी और कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ढुलाई भाड़े में वृद्धि, कंटेनरों की कमी और कुछ मुक्त व्यापार करारों की वजह से उलट शुल्क ढांचे (Reverse duty structure) का सामना करना पड़ रहा है. उलट शुल्क ढांचे में आयातित माल की तुलना में कच्चे या मध्यवर्ती माल पर कर की दर ऊंची होती है. इसमें कच्चे माल पर टैक्सेशन तैयार प्रोडक्ट से ज्यादा होता है. उन्होंने कहा कि आसियान के सदस्यों थाइलैंड और वियतनाम के साथ भारत का मुक्त व्यापार करार है. ये इस क्षेत्र के प्रमुख खिलाड़ी हैं और उन्हें करार की वजह से भारतीय बाजार में तरजीही पहुंच (Preferential access) मिल रही है.

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