गोल्ड हॉलमार्किंग: ग्राहक को क्या होगा फायदा, कितना देना होगा चार्ज
हमें यह जानना होगा कि हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाने से ग्राहकों को क्या फायदा होगा.
Updated on: May 27, 2021, 04.42 PM IST
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ग्राहकों को मिलेगा शुद्ध सोना?
गोल्ड हॉलमार्किंग के पीछे सरकार का मकसद है कि ग्राहकों को शुद्ध सोना मिले. उनके साथ गहनों की बिक्री में किसी तरह की ठगी न हो. नए प्रावधानों के बाद बीआईएस हॉलमार्क (BIS Hallmark) वाली गोल्ड ज्वैलरी और कलाकृतियां ही बिकेंगी, जो कि सोने के तीन ग्रेड- 14, 18 और 22 कैरेट में होंगी. नए कानून से ग्राहक को ठगा नहीं जा सकेगा और खरीदी जाने वाली हॉलमार्क्ड गोल्ड ज्वैलरी उतने ही कैरेट की होगी, जितने के ग्राहक ने पैसे दिए हैं. हॉलमार्क एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट हर्षद अजमेरा का कहना है कि 15 तारीख से देशभर में हॉलमार्क ज्वैलरी मिलेगी. इसमें सरकार की तरफ से बीआईएस शुद्धता की गारंटी देगी. यानी, सोने की शुद्धता पर थर्ड पार्टी गारंटी होगी. ग्राहकों को अब शुद्ध सोना मिलना चालू हो जाएगा. हालांकि, अमजेरा का कहना है कि एक बार नियम लागू होने के बाद बिना हॉलमार्क ज्वैलरी बिक्री नहीं की जा सकेगी. शुरुआत में 10-15 दिन की दिक्कत आ सकती है.
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ग्राहकों को देना होगा चार्ज
हॉलमार्क गोल्ड ज्वैलरी के मामले में एक सवाल यह भी है कि क्या इसकी लागत ग्राहकों को उठानी होगी. हर्षद अजमेरा का कहना है कि हॉलमार्किंग की लागत बहुत ही नॉमिनल है और यह पीस के हिसाब से है न कि ज्वैलरी के वजर के अनुसार है. अजमेरा का कहना है कि हॉलमार्किंग की लागत अभी 35 रुपये प्रति पीस है, चाहे वो ज्वैलरी का वजन कितना भी हो. बिल पर ज्वैलर्स को यह लिखकर देना होगा. वहीं, डिजिटलाइजेशन जो एचयूआईडी सिस्टम आने जा रहा है; उसमें हॉलमार्क की लागत 100 रुपये प्रति पीस हो सकता है. अभी इस पर कुछ फाइनल हो. इसमें भी ज्वैलरी का वजन का कोई मतलब नहीं है. हालांकि, यह ध्यान रखना चाहिए ग्राहक को सोने की शुद्धता की जो गारंटी मिलने वाली है उसके सामने यह बहुत कम लागत है.
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घर में रखे सोने का क्या होगा
गोल्ड हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के बाद एक अहम सवाल यह भी है कि घर में पुराना सोना पड़ा है तो उसका क्या होगा. उसकी बिक्री पर कैसे असर होगा. अमजेरा का कहना है कि गोल्ड हॉलमार्किंग के फैसले का घर में रखे सोने की ज्वैलरी पर कोई फर्क नहीं होने वाला है. वो आसानी से रख सकते हैं. पुरानी ज्वैलरी बिक्री करने पर कोई असर नहीं होगा. वो उसे ज्वैलर्स के यहां बेच सकते हैं. लेकिन, ज्वैलर्स अब बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच पाएगा.
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कैसे होगी हॉलमार्क की पहचान
गोल्ड ज्वैलरी हॉलमार्किंग के बीच एक अहम बात यह भी है कि गोल्ड हॉलमार्किंग की पहचान कैसे होगी. सीजेआई के पूर्व चेयरमैन नितिन खंडेलवाल का कहना है कि हॉलमार्क ज्वैलरी की पहचान आसान होगी. इस ज्वैलरी पर अलग-अलग मार्क होंगे, जिन्हें मैन्गीफाइंग ग्लास से देखा जा सकता है. हॉलमार्किंग के तहत किसी भी गोल्ड ज्वैलरी पर पांच चीजें मार्क होती हैं. इनमें BIS लोगो, सोने की शुद्धता या फाइननेस दर्शाने वाला नंबर जैसे 22 कैरेट या 916, एसेइंग या हॉलमार्किंग सेंटर का लोगो, मार्किंग का साल और ज्वैलर्स आइडेंटिफिकेशन नंबर शामिल है.
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गोल्ड लोन लेने में कोई दिक्कत
जिनके घर पर पुराना सोना पड़ा है. हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद क्या जरूरत पर उनको गोल्ड लोन मिल जाएगा. इस पर नितिन खंडेलवाल का कहना है कि पुराने गोल्ड पर हॉलमार्किंग का कोई असर नहीं होगा. गोल्ड लोन देने वाली कंपनी अपने स्तर पर जांच करती है और शुद्धता के अनुसार लोन देती है. यानी, अगर कोई अपने पुरानी गोल्ड ज्वैलरी पर लोन लेना चाहे, तो गोल्ड लोन देने वाली कंपनी के तय मानकों और नियमों के आधार पर लोन दे सकती है.