बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (Patanjali Ayurveda Ltd.) के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मौखिक रूप से बिना शर्त माफी मांगी. पीठ ने सवाल किया कि आपने चिकित्सा की अन्य प्रणालियों को त्यागने के लिए क्यों कहा. इसके जवाब में बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि ने आयुर्वेद को साक्ष्य-आधारित चिकित्सा प्रणाली बनाने का प्रयास किया है. वह किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, “हम आपके रवैए की बात कर रहे हैं. अगर आपने (शोध) किया है, तो केंद्र सरकार की अंतःविषय समिति में इसे आप साबित करिए. आपके वकील ने कहा है कि आप अपने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए अन्य दवाओं या उनके उपचारों को खारिज नहीं करेंगे. 

क्या बोले बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण

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बाबा रामदेव ने हाथ जोड़कर कहा कि उन्हें इस तरह के सार्वजनिक बयान नहीं देने चाहिए थे और भविष्य में वह अधिक सावधान रहेंगे. उन्होंने कहा, "ऐसा हमसे अति उत्साह में हो गया, आगे से हम नहीं करेंगे." इसी प्रकार आचार्य बालकृष्ण ने भी कहा, हमसे अनजाने में गलती हुई है. आगे से बहुत ध्यान रखेंगे. हम अपनी गलती पर क्षमा मांगते हैं. हम भविष्य में बहुत सावधान रहेंगे. इसके अलावा, कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के निरंतर प्रकाशन और पतंजलि के वकील द्वारा पिछले साल नवंबर में हलफनामा प्रस्तुत करने के तुरंत बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने पर रामदेव और बालकृष्ण से पूछताछ की.

पतंजलि ने पहले सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह अपने उत्पादों की औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाला कोई भी बयान नहीं देगी या कानून का उल्लंघन करते हुए उनका विज्ञापन या ब्रांडिंग नहीं करेगी. मीडिया में चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान भी जारी नहीं करेगी.

बाबा रामदेव ने कहा कि उनका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दिए गए वचन का उल्लंघन करने का कोई इरादा नहीं था. उन्होंने कहा कि अदालत के अनादर की उनकी मनसा न थी, न कभी हो सकती है. दोनों के साथ बातचीत के बाद, सुप्रीम कोर्ट उनके बिना शर्त माफी पर विचार करने को तैयार हो गई. हालांकि यह स्पष्ट किया कि रामदेव और बालकृष्ण के आचरण को माफ नहीं किया गया है.

अगली लिस्टिंग पर होना होगा मौजूद

रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पतंजलि अपनी सद्भावना प्रदर्शित करने के लिए स्वैच्छिक कदम उठाएगी. उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि मामले को एक सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया जाए. लिस्टिंग की अगली तारीख पर भी रामदेव और बालकृष्ण व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होंगे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के उल्लंघन के लिए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.