बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों ने पावर ग्रिड से जुड़े 1 लाख मेगावाट क्षमता वाले बैटरी आधारित स्टोरेज प्रोग्राम की घोषणा पर जोर दिया. इससे भारत को बैटरी टेक्नालॉजी सेग्मेंट में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. इस क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों और विशेषज्ञों ने कहा कि भारत सौर मॉड्यूल के विपरीत स्टोरेज मैन्युफैक्चरिंग बेस के मामले में अन्य देशों से आगे निकल रहा है. उद्योग के अनुमान के अनुसार सौर मोड्यूल के मामले में 65% से अधिक मैन्युफैक्चरिंग चीन और अन्य देशों में हो रही है. 

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स्टरलाइट पावर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) वेद मणि त्रिपाठी ने कहा, ‘‘हम ग्रिड स्थायित्व के नजरिए से भंडारण (बैटरी) सुविधा की बात कर रहे हैं, लेकिन साथ ही ई-वाहन को भी समर्थन देने की जरूरत है.’’ उन्होंने कहा कि यह समय की जरूरत है कि सरकार 1 लाख मेगावाट भंडारण कार्यक्रम की घोषणा करे. इससे बैटरी प्रौद्योगिकी में निवेश आकर्षित होगा और इससे भारत अन्य देशों के मुकाबले आगे बढ़ सकता है. फिलहाल सरकार शुल्क आधारित बोली के तहत ऊर्जा भंडारण को सौर तथा अन्य अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के साथ जोड़कर बढ़ावा दे रही है. 

पावर ग्रिड कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन आरएन नायक ने कहा कि भारतीय ग्रिड की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये लचीलापन महत्वपूर्ण है. सेंट्रल बोर्ड आफ इरिगेशन एंड पावर द्वारा ऊर्जा भंडारण पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में नायक ने कहा, ‘‘दुनिया भर में नियामक और सरकार ऊर्जा भंडारण की भूमिका को महत्वपूर्ण मान रही हैं और अक्षय ऊर्जा लक्ष्य के अनुरूप ग्रिड-भंडारण लक्ष्य तय कर रही हैं.’’ 

बिजली मंत्रालय में संयुक्त सचिव अनिरूद्ध कुमार ने कहा कि भारत के पास 1 लाख मेगावाट पंप भंडारण (पनबिजली परियोजनाओं में) की क्षमता है और अब तक केवल 4500 मेगावाट का उपयोग हुआ है. उन्होंने ‘हाइड्रो’ पंप भंडारण के समक्ष विभिन्न चुनौतियों का जिक्र किया और ऐसे व्यापार मॉडल पर जोर दिया, जिससे अंतिम उपयोक्ता के लिये लागत में कमी आए.

(एजेंसी इनपुट के साथ)